शबाब ख़ान
वाराणसी : शहर भर मे कुकुरमुत्तों की तरह जगह-जगह उग आये प्राईवेट स्कूलों पर शासन नें शिकंजा कसा है। अभिभावकों द्वारा सीबीएसई स्कूलों में मनमाना शुल्क वसूली के विरोध को देखते हुए शासन-प्रशासन भी सक्रिय हुआ है। शासन एक ओर जहां समिति गठित कर जांच-पड़ताल में जुट गया है। वहीं डीआइओएस भी निजी स्कूलों पर नजर रखे हुए हैं। इस क्रम में उन्होंने सीबीएसई से संचालित स्कूलों से 10 दिनों के भीतर एक शपथ पत्र मांगा है। निर्धारित अवधि के भीतर शपथ पत्र न देने पर संबंधित विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है।
जिला विद्यालय निरीक्षक ओपी राय ने बताया कि निजी स्कूलों को अगली कक्षा में जाने वाले बच्चों से री-एडमिशन के नाम पर शुल्क न लेने की पहले ही हिदायत दी जा चुकी है। इस क्रम में किताब-कापी, स्टेशनरी, टाई-बेल्ट, यूनीफार्म स्कूलों में न बेचने पर सख्त निर्देश दिया गया है। साथ ही स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को निर्धारित दुकानों से किताब-कापी, ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य भी नहीं कर सकता है। इस बाबत अगर शिकायत मिली तो नियमों के दायरे में संबंधित विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों से इस आशय का शपथ पत्र देने को कहा गया है ताकि आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई की जा सके।
बैठक कर बनाई आचार संहिता:
अभिभावकों के लगातार विरोध को देखते हुए सीबीएसई से संचालित स्कूलों ने बैठक कर अपने स्तर से आचार संहिता बनाई है। उन्होंने इसकी प्रतिलिपि डीआइओएस को भी दिया है। इसमें कहा गया कि नियम के दायरे में रह कर अभिभावकों से शुल्क लिए जा रहे हैं।