शबाब ख़ान
वाराणसी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सरकारी दफ्तरों को दलाल मुक्त बनानें के निर्देश का असर आज उस समय देखने को मिला जब वाराणसी का प्रशासनिक अमला पूरे लाव लश्कर के साथ आरटीओ आफिस पर बिजली की तरह टूट पड़ा।
ज्ञात हो कि रीजनल ट्रॉस्पोर्ट आफिस यानि आरटीओ हमेशा से दलालों के कब्जे मे रहा है। ड्राईविंग लाईसेंस हो या गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट या इंश्योरेंस या गाड़ियों का ट्रॉस्फर यह सारे के सारे सरकारी कामकाज दलालों के माध्यम से ही संभव है। हालात यह है कि आरटीओ कार्यालय के बाहर चाय-पान की दुकानें पर आप यह सारे काम आसानी से करवा सकते हैं। जरूरत है तो बस कुछ एक्स्ट्रा खर्चे की। पान की दुकान से पैसे देकर डीएल बनवाने का फार्म लीजिए, जी नही यह ऑप्शनल नही बल्कि मैंनडोटरी है। फार्म आपकों कार्यालय के बाहर दलालों के माध्यम से ही लेना पड़ेगा। यदि आप कुछ सिद्धांतवादी टाइप हैं और आप स्वंय कार्यालय के अंदर कांउटर से फार्म लेने पहुँच गये तो आपको वहॉ कोई यह भी बताने वाला नही मिलेगा कि डीएल बनवाने के लिए कौन से फार्म की जरूरत होती है और वह कहॉ मिलेगा। थक हार आप किसी न किसी दलाल से ही टकरायेगें। ये भी हो सकता है कि कार्यालय के अंदर जाने पर लिपिक की कुर्सी पर बैठकर, कागजो पर ठप्पा ठोकनें वाला व्यक्ति लिपिक हो ही न, दलाल हो। जी हॉ, पूरी संभावना है।
आरटीओ कार्यालय का आलम यह है कि बड़े अधिकारी को छोड़ यह जानना ही मुश्किल है कि कौन सरकारी कर्मचारी है और कौन दलाल। बाहर पान की दुकान से फार्म हासिल करके एक दलाल सुपर फास्ट स्पीड में आपका फार्म भरेगा, उसकी फार्म भरनें की स्पीड देखकर ही लग जाएगा कि यह बंदा पैदा होते ही डीएल का फार्म भरनें लगा होगा। बहरहाल, आपसे हास्ताक्षर तो वह करायेगा, लेकिन जहां आरटीओ अधिकारी की साइन होनी चाहिए वहॉ पर भी दलाल बंधु घसीटा साइन मार देगें। आपके साथ कार्यालय के अंदर आयेगे, लिपिक के मेज पर से मुहर उठायेगे और ठप्पा लगा देगें। ओरिजनल लिपिक महोदय कनखयियों से भी नही देखेगें कि किसने कौन सी मुहर किस पेपर पर मारी है। हॉ, हिसाब-किताब शाम को बैठकर साफ होना चाहिए, जिसे दलाल गुट पूरी ईमानदारी से निभाते हैं।
यह उच्च दर्जे की व्यवस्था जाने कब से चली आ रहा था, सभी सुखी थे। अधिकारीगण काम से मुक्त थे, दलाल भाईयों का परिवार चल रहा था, और वाहनस्वामियों का समय बच रहा था, 200-400 एक्स्ट्रा चलता है। लेकिन इस गोरखधंधे के बीच में न जाने कहॉ से गोरखपुर का बंदा आ गया, जिसके वजह से आज आरटीओ में भूचाल सा गया। आज दोपहर 1 बजे एसडीएम पिण्डरा, सीओ बड़गांव, थाना प्रभारी नें भारी पुलिस बल के साथ दलालों की धर पकड के लिए आरटीओ कार्यालय पर छापेमारी की। प्रशासनिक अमले को देखते ही दलालों में भगदड़ मच गई, जिसे जहॉ से जगह मिली भाग निकला, यहॉ तक की कुछ घण्टों पहले पैण्ट-शर्ट में टाईट एक्सिक्युटिव दलाल बंधुओं को आरटीओ की दीवार फांदकर भागते देखा गया। हालांकि, ज्यादातर दलाल भागनें में सफल रहे लेकिन फिर भी 14 लोगो को पुलिस नें हिरासत में ले लिया। जिसमें से एक आरटीओ के बाहर ठेले पर जूस बेचनें वाला भी शामिल था। सूचना थी कि वह जूस वाला दलालों का मार्केटिंग पर्सन था, यानि वह वाहन स्वामियों को फलॉ दलाल से फलॉ कार्य के लिए संपर्क करने को कहता था, हालांकि बाद में उसे छोड़ दिया गया। समाचार लिखे जाते समय तक स्थिति यह थी कि बड़गॉव एसओ आरटीओ की ओर से लिखित शिकायत के इंतजार में बैठे थे ताकि पकड़े गये दलालों पर उचित अभियोग लगाकर कोर्ट भेजा जा सके।