शबाब ख़ान
वाराणसी: आदमपुर थानाक्षेत्र में घटित आज एक घटना नें फिर से पुलिस की उदासीन रवैये की पोल खोल दी है। दिन के 11 बजे कज्जाकपुरा स्थिति रेलवे अण्डर बाईपास पुल पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों के लिए 25000 वोल्ट के केबल को संभालने वाले विद्युत खंभे पर आज एक विक्षिप्त व्यक्ति किसी तरह चढ़ गया। ट्रैक के ऊपर बीचोबीच पुलनुमा खंभे पर चढ़े व्यक्ति को देखकर वहां स्थानीय लोगो की भीड़ लग गई। चूँकि 25 हजार वोल्ट के करेंट का खतरा था सो किसी नें खंभे पर तो चढ़कर व्यक्ति को बचाने की नही सोची, लेकिन लोग चीख-चीखकर उसे उतरने को कह रहे थे। लेकिन वह व्यक्ति विक्षिप्त था सो उसके समझ में लोगो की बात नही आयी।
फिर वही हुआ जिसका डर था, व्यक्ति 25 हजार वोल्ट के पॉवर को ले जाने वाले केबल के संपर्क में आ गया, जिससे झटका खाकर वह ट्रैक के उपर गिर गया। व्यक्ति का शरीर झुलसकर काला पड़ गया था, और उसके शरीर का कई भाग बुरी तरह से जल भी गया था। ट्रैक पर गिरने की वजह से उसकी रीढ़ की हड्डी भी टूट गई थी। घटना की जानकरी मौके पर पहुँचे किसी पत्रकार नें 100 पर दी जिससे पीआरवी 509 मौके पर पहुँची।
इधर घटना की सूचना मिलते ही आनन-फानन में आदमपुर इन्स्पेक्टर अशेष नाथ सिंह भी मौके पर पहुंच गये और मौके पर उपस्थित पीआरवी 509 से अपनी गाड़ी से घायल युवक को अस्पताल पहुँचाने को कहा। लेकिन क्षेत्र के थाना प्रभारी की बात को पीआरवी 509 ने अनसुना करते हुए घायल को अस्पताल पहुँचाने के लिए टेंपो की व्यवस्था कराना शुरू कर दिया। जिसकी व्यवस्था देर तक नहीं हो पायी, और बुरी तरह से घायल विक्षिप्त युवक तड़पता रहा।
यहॉ फिर से पत्रकारों ने ही अपनी जिम्मेदार निभाते हुए 108 डॉयल करके एंबुलेंस बुलाया। हालांकि, वहां पर पुलिसकर्मी मौजूद थे, लेकिन युवक को एंबुलेंस में चढ़ानें के लिए भी किसी पुलिसकर्मी नें जरा भी सहयोग नही किया, स्थानीय जनता और पत्रकारों नें स्वंय उस युवक को उठाकर एंबुलेंस में सवार कराया, जिसके बाद घायल को कबीरचौरा अस्पताल पहुँचाया गया। जहॉ युवक की हालत गंभीर बनी हुई है।
यहॉ सवाल यह उठता है कि यूपी डॉयल 100 वाहन जोकि हर उपकरण के साथ-साथ एसी से भी सुसज्जित है, उसको क्या पुलिसकर्मियों को गद्देदार सीट पर बैठकर एसी का मज़ा लेने के लिए सड़को पर उतारा गया है या आम जनता की मदद करने के लिए? जब इंस्पेक्टर आदमपुर नें पीआरवी 509 से घायल युवक को अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुँचाने को कहा था तो क्यो पीआरवी में तैनात पुलिसकर्मी गाड़ी में ही जमे रहे? क्या एसी की इस कदर आदत पड़ गयी है कि इंसानियत ही भूल गये। यहॉ तक की घायल युवक को एंबुलेंस में चढ़ानें के लिए भी पुलिसकर्मियों नें पीआरवी से बाहर आना जरूरी नही समझा। ऐसे में तो सरकार को यही चाहिए की गाड़ी की लग्जरी सुविधा यानि एसी को पीआरवी से हटवा ले ताकि कम से कम गाड़ी के ठंडे वातावरण को छोड़कर बाहर आने मे पुलिसकर्मियों को तकलीफ जरा कम हो।