शबाब ख़ान
गया: केंद्र की मोदी सरकार फर्जी शिक्षा पर नकेल कसने और शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने की बात करती हैं। इसके लिए वे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की बात करते हैं मगर उन छात्रों का क्या जो केंद्र द्वारा संचालित केंद्रीय विश्वविद्यालय की ही शिक्षा व्यवस्था से परेशान हैं। जी हां! दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्विद्यालय में बीएड कोर्स के तकरीबन 90 छात्र-छात्राए 3 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैये के कारण ये छात्र-छात्राए लगभग 3 दिनों यानि मंगलवार से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। जो अभी भी जारी है। गौर करने वाली बात ये है कि हड़ताल पर भूखे बैठे छात्रों को देखने के लिए अबतक न तो डॉक्टरों की कोई टीम पहुंची न ही प्रशासन के हुकुमरान।
वहीं बुधवार को भूख हड़ताल पर बैठै छात्रों में 6-7 की हालत अचानक बिगड़ गयी। जिन्हें देखने बुधवार को आनन-फानन में मेडिकल टीम पहुंची। वहीं डीएम, एसपी और एसडीओ भी आनन-फानन में पहुंचे। जिसके बाद भी इन छात्रों ने भूख हड़ताल को तोड़ने से मना कर दिया है।
क्या है मामला
दरअसल दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय में बीए, बीएड और बीएससी सहित बीएड के दो बैच चल रहे थे। मगर इन कोर्स की मान्यता एनसीटीई यानि नेशनल कॉसिल फॉर टीचर एजुकेशन से नहीं मिली। इन सबके बावजूद भी विश्वविद्यालय ने इनकी पढ़ाई जारी रखी। लेकिन अभी तक 2013 और 2014 सेशन के विद्यार्थियों की डिग्री को मान्यता नहीं मिली है जबकि अब ये पास आउट होने वाले हैं। इसलिए ये 90 विद्यार्थी भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
क्या है छात्रों की मांग
भूख हड़ताल पर छात्रों में अनुपम रवि कहते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें सालों से सिर्फ ये आश्वासन दे रहा था कि उनकी डिग्री को मान्यता मिल जाएगी लेकिन ये सब केवल विश्वविद्यालय प्रशासन का ढकोसला था और अब तक मान्यता नहीं मिली है। छात्रा आस्था का कहना है कि हमने इतने साल इस पढ़ाई में लगा दिए हैं। यहां से बाहर निकल क्या कहूंगीं ये जो मेरे पास डिग्री है ये सिर्फ कोरा कागज है इनकी कोई मोल नहीं है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमारा करियर बर्बाद कर दिया। वहीं प्रीति सुमन बताती हैं कि तीन दिन से हम भूख हड़ताल पर है। जो भी लोग आते हैं हमारी समस्या पर ध्यान देने के बजाय अपनी वाहवाही के लिए भूख हड़ताल तोड़ने की बात कहते हैं। भूख हड़ताल पर बैठी सुप्रिया कहती हैं कि इस तरह का केस मध्य प्रदेश के एक विश्वविद्यालय में भी हो चुका है। हमलोगों ने इस मामले में देश के प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री से लेकर हर सीएम तक को ट्विट कर चुकेे हैं मगर कोई सुनने वाला नहीं है इसलिए अब हमारे पास यही एक रास्ता बचा था।
इस बीच अनुपम रवि बताते हैं कि डिग्री को मान्यता दिए जाने के लिए जोशीपूरा कमेटी बनाई गई जिसके अध्यक्ष कमलेश ज्योति पूरा थे। लेकिन वो भी सफल नहीं हो सकें। अनुपम रवि के मुताबिक जिस तरह सीयूएसबी ने इस कोर्स को शुरू किया था, उसी तरह से तमिलनाडू सेंट्रल यूनिवर्सिटी और झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने भी इस कोर्स को शुरू किया था मगर वे समय रहते इन कोर्स को मान्यता मिलने तक हटा दिए थे। जिसके उनके छात्रों का नुकसान नहीं हुआ मगर सीयूएसबी ने धोखे से हमें अंधेरे में रख इसे जारी रखा, जिसका नतीजा ये है कि अब हमें हमारे हक के लिए भूख हड़ताल करना पड़ रहा है।
क्या कहता है नियम
नियम के मुताबिक जब कोई कॉलेज, विश्वविद्यालय बीएड जैसे कोर्स को शुरू करती है तो उससे पहले ही उसे एनसीटीई यानि नेशनल कॉसिल फॉर टीचर एजुकेशन से मान्यता लेनी पड़ती है। कोर्स चालू करने के बाद मान्यता लेने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
क्या है उपाय
नियम अब ये कहता है कि इस मामले में अब केंद्र की सरकार को इस मामले में कैबिनेट आॅडिनेंस पास करना होगा तभी जाकर उनको मान्यता दी जा सकती है।
बता दें कि फिलहाल बिहार केंद्रीय दक्षिण विश्विद्यालय के वीसी हरिशचंद्र सिंह राठौर हैं। वहीं इस मामले पर गया के जिलाधिकारी ने गुरुवार को छात्रों से मिलने को बुलाया है और अपनी समस्या बताने को कहा है। अब देखना ये है इन 90 छात्रों का भविष्य इन हुकुमरानों के गोल-मोल बातों में फंसकर रह जाती है या इन छात्रों की डिग्री को मान्यता मिलती है।