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अमर अकबर एंथनी के ‘अमर’ विनोद खन्ना नहीं रहे

गुरदासपुर से भाजपा सांसद नहीं जीत पाए कैंसर से जंग

शबाब ख़ान

मुंबई: ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी कई फिल्मों में यादगार अभिनय से बॉलीवुड में अपनी छाप छोड़ने वाले विनोद खन्ना का गुरुवार को निधन हो गया। वे 70 साल के थे और कैंसर से जूझ रहे थे। खबरों की मानें तो उनको ब्लैडर कैंसर था। हालांकि इसकी पुष्टि उनके परिवार ने नहीं की है। उनका काफी समय से गिरगांव, मुंबई के सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में इलाज चल रहा था।

गुरदासपुर, पंजाब से भाजपा सांसद विनोद खन्ना के परिवार में उनकी पत्नी कविता, बेटे राहुल, अक्षय और साक्षी तथा बेटी श्रद्धा हैं। कविता उनकी दूसरी पत्नी हैं। उनकी पहली पत्नी गीतांजलि के साथ उनका तलाक हो गया था। विनोद खन्ना की तबीयत नासाज होने की खबरें 2016 के अंत और 2017 की शुरुआत से ही आने लगी थीं। पिछले दिनों उनकी एक फोटो वायरल हुई थी। इसमें वे काफी अस्वस्थ दिख रहे थे। हालांकि तब राहुल ने बताया था कि उनके पिता बिल्कुल स्वस्थ हैं और उन्हें जल्द ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।
सौ से ज्यादा फिल्मों में काम किया
विनोद खन्ना ने 1968 में ‘मन का मीत’ फिल्म से फिल्मी दुनिया में कदम रखा। इसकेे बाद लंबे फिल्मी करियर में उन्होंने सौ से ज्यादा फिल्मों में काम किया। वे 1970-80 के दशक में सबसे चर्चित, खूबसूरत और दर्शकों के पसंदीदा अभिनेताओं में से एक होते थे। उनकी चर्चित फिल्मों में ‘मेरे अपने’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘इम्तिहान’, ‘इनकार’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘लहू के दो रंग’, ‘कुर्बानी’, ‘दयावान’, ‘इंसाफ’ ‘सत्यमेव जयते’ ‘जुर्म’, ‘दबंग’, ‘दबंग-2’ अादि प्रमुख हैं। वे 2015 में आखिरी बार शाहरुख खान की फिल्म ‘दिलवाले’ में नजर आए थे।
विनोद खन्ना को ‘हाथ की सफाई’ फिल्म में सह-अभिनेता के तौर पर सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड दिया गया। इसके बाद 1999 में उन्हें फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया। फिर 2007 में उन्हें जी सिने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया।
अध्यात्म और राजनीति को भी आजमाया
विनोद खन्ना ने 1982 में अच्छे-खासे चल रहे फिल्मी करियर से बीच में ही ब्रेक ले लिया। करीब पांच साल वे फिल्मों से दूर रहे। इस दौरान आध्यात्मिक गुरु ‘ओशो’ (आचार्य रजनीश) के शिष्य बन गए और उनके आश्रम में उन्होंने काफी वक्त बिताया।
पाकिस्तान के पेशावर में सात अक्टूबर 1946 को जन्मे विनोद खन्ना ने राजनीति में भी सफल पारी खेली। उन्होंने 1997 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। इसके अगले ही साल वे गुरदासपुर से सांसद चुने गए। फिर 1999 में भी उन्होंने अपनी सीट कायम रखी। केंद्र की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में 2002 में वे संस्कृति मंत्री बनाए गए। इसके छह माह बाद ही वे विदेश राज्य मंत्री बना दिए गए। भाजपा के स्टार प्रचारक रहे विनोद खन्ना 2004 में फिर गुरदासपुर से चुने गए। लेकिन 2009 का चुनाव वे हार गए। हालांकि 16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में फिर उन्होंने यह सीट आसानी से निकाल ली।                      
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