एक समय ऐसा भी आया कि सदन में वंदेमातरम और नारे तकबीर एक साथ गूंज उठा. एक आपा धापी का माहोल हो चूका था. सबसे मज़ेदार पहलू उस समय नज़र आया जब बीजेपी पार्षदो, यहां तक कि मेयर तक को “राष्ट्रीय गीत” वंदेमातरम याद नही था। वही दूसरी तरफ मेयर साहब के पास शहर के विकास के लिए पार्षदो को 25-25 लाख का विकास कोटा देने के प्रस्ताव पर मेयर साहब खामोश थे। कोई निर्णय नही करा सके।
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