मनुष्य मनुष्य होता है और न तो वह हिन्दू होता है न मुसलमान होता है बल्कि इंसान की औलाद होता है और इसानियत उसकी पहचान होती है।किसी कवि ने कहा भी है कि” न हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा इंसान की औलाद है इंसान बनेगा”।जाति धर्म मजहब से पहले हम सब एक परमपिता की संतान है और हम सभी का एक धर्म होता है।मनुष्य के गर्भ में पलने, पैदा होने खाने पीने सोने शौचादि जाने और मरने जीने आदि का तरीका एक जैसा होता है।
मनुष्य हिन्दू मुसलमान पैदा होने के बाद बनता है लेकिन इंसानियत उसकी मुख्य पहचान होती है।आजकल मनुष्य धर्मों सम्प्रदायों में बंटकर अपने मूल लक्ष्य से भटकता जा रहा है।इतना ही नहीं एक परमपिता की संतान होने के बावजूद वह ईश्वर में बंटवारा कर रहा है जबकि सभी जानते हैं कि ईश्वर एक होता है।उसे हिन्दू ज्योति तो मुसलमान नूरे ईलाही और ईसाई उसे मूनलाइट कहता है और तीनों का मतलब एक रोशनी प्रकाश होता है।हमें नहीं भूलना चाहिए कि हम सभी हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई होते हुये भी सबसे पहले एक परमपिता की संतान हैं और हम सभी रिश्ते में भाई भाई लगते हैं।इस समय आदमी जाति धर्म सम्प्रदायों में इस कदर उलझ गया है कि अपने भाई को ही अपना दुश्मन मानने लगा है।हमारा इन्सानी रिश्ता तार तार हो रहा है और इंसान ही इंसान के खून का प्यासा हो गया है।हर मनुष्य को अपना देश प्यारा होता है लेकिन इस समय ऐसे लोग भी सक्रिय हैं जो जिस देश में रहते हैं उसी की पीठ में छूरा भौंक रहे हैं।एक दूसरे के धर्म की बुराई करना आमबात हो गयी है और एक दूसरे के ईश्वर को भला बुरा कहना रिवाज सा बन गया है।यहीं रिवाज अगर आजादी के समय होता तो शायद यह देश ही आजाद नहीं होता है।देश की आजादी के लिये बलिदान होने के समय न कोई हिन्दू था न मुसलमान सिख ईसाई था बल्कि सभी लोग हिन्दुस्तानी एक भारत माता की संतान थे।हर मनुष्य इंसानी रिश्ते से बंधा होता है और जो मनुष्य इंसान होते भी इसानियत से दूर रहता है उसी मनुष्य को शैतान कहा जाता है।