फारुख हुसैन/ सुदेश कुमार
बहराइच। जंगल जंगल बात चली है पता चला है…कोई उसे मोगली गर्ल कहता है तो कोई जंगल की गुडिय़ा। बावजूद इसके कि वह न इंसानों की तरह बात करती है और न व्यवहार। यहां जिला अस्पताल में कुछ दिन पहले कतर्नियाघाट के जंगलों से लाई गई दस वर्षीय रहस्यमय बच्ची सबके कौतुहल का विषय बनी है।
सटीक जानकारी किसी के पास नहीं लेकिन अस्पताल स्टाफ व पुलिस मानती है कि इस इंसान की बच्ची परवरिश बंदरों के बीच हुई। करीब तीन माह पहले इसे कतर्नियाघाट के जंगलों में लकड़ी बीनने वालों ने देखा था। बच्ची के तन पर एक भी कपड़ा नहीं था लेकिन वह इस सबसे बेफिक्र थी। लकड़हारे इसके पास गए तो बंदरों ने बच्ची को घेरे में ले लिया और किसी को पास नहीं फटकने दिया।
कतर्नियाघाट वन्य जीव क्षेत्र के मोतीपुर रेंज में इसके बाद वह कई बार देखी गई। बताते हैं कि बालिका के चोटिल होने के चलते वह अस्वस्थ लग रही थी। बालिका के करीब जाने की कोशिश करने पर बंदरों का झुंड ग्रामीणों पर हमलावर हो जाते थे। सूचना आसपास के गांवों में फैल गई। दर्जनों बंदर घने जंगल में उसकी निगरानी कुछ इस तरह करते थे, जैसे बालिका उनके परिवार की एक सदस्य हो। सूचना मोतीपुर पुलिस को दी गई। इस पर पुलिस बताए गए स्थान पर जंगल में पहुंची लेकिन बालिका नहीं दिखाई पड़ी। 20 जनवरी की रात यूपी 100 की टीम रात्रि गश्त के दौरान जंगल से गुजर रही थी कि अचानक उसे यह बालिका बंदरों के बीच दिखी। कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस जवानों ने बालिका को बंदरों के बीच से निकालकर गाड़ी में बैठाया। जख्मी बालिका को एसआइ सुरेश यादव ने मिहीपुरवा सीएचसी में भर्ती कराया। हालत में सुधार न होने पर 25 जनवरी को बेहोशी की हालत में जिला अस्पताल पहुंचाया। धीरे-धीरे बालिका की हालत में सुधार आया।
बालिका लोगों को देखकर बंदरों की तरह गुर्राने लगी। हाव-भाव भी बंदरों जैसा है। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा भोजन देने पर थाली से नीचे गिरा देती है और बेड पर बिखेर कर खाना खाती है। मोतीपुर एसओ राम अवतार यादव ने बताया कि लड़की जंगल में नग्न अवस्था में बंदरों के साथ पाई गई थी। इस दौरान बाल और नाखून बढ़े हुए थे। शरीर पर कई जगह जख्म भी थे। बालिका की उम्र लगभग 10 वर्ष है। बालिका न बोल पाती है और न ही लोगों की बात समझ पाती है।
सीएमएस जिला अस्पताल बहराइच डॉ. डीके सिंह ने बताया कि अस्पताल में बालिका डॉक्टरों व अन्य लोगों को देखते ही चिल्ला उठती है, जिसकी वजह से इलाज में चिकित्सकों व स्टाफ नर्सों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह लड़की किसकी है, कहां की है, यह किसी को पता नहीं है। लड़की कब से जंगल में जानवरों के बीच थी यह भी कोई नहीं बता पा रहा है। लड़की का इलाज किया जा रहा है लेकिन, उसकी भाषा जानवरों की तरह है, इसलिए इलाज में दिक्कतें आ रही है।