आफताब फारुकी
इलाहाबाद। भारत संचार निगम लिमिटेड द्वारा इन दिनों हंगामा सर्विस के नाम पर अपने लाखों उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने का मामला प्रकाश में आया है। सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि इसमें बीएसएनएल अधिकारियों की भी मिलीभगत है।
मामला इंटरनेट पर हंगामा सुविधा का है, आपके बीएसएनएल के नंबर पर एक फोन आता है और हंगामा सुविधा के बारे में बताता है। आप उसे पसंद करे या न करें बिना यह जाने इसके बाद आपके ई-मेल एड्रेस पर यूजर नेम और पासवर्ड भेज दिया जाता है। आप उस यूजरनेम और पासवर्ड का इस्तेमाल करें या न करें, लेकिन आपके अगले बिल में हंगामा सुविधा की ओर से बीएसएनएल के ही बिल में अतिरिक्त रकम जोड़ कर भेजी जा रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि जब मैंने बीएसएनएल का ब्राड बैण्ड कनेक्शन लिया तो उससे गूगल और यू-ट्यूब के माध्यम से हम वह सारी सुविधा प्राप्त कर सकते हैं जिसका हंगामा सुविधा देने का वादा कर रहा है। ऐसे में हमें इसकी क्या जरूरत। ऐसे बिल हजारों की संख्या में दूरसंचार विभाग में पंेडिंग पड़े हैं जिसमें लाखों रूपये का उपभोक्ताओें का चूना लगाया गया है। दूरसंचार विभाग के अधिकारियों को इस बारे में कुछ नहीं पता।
इस संबंध में बीएसएनएल के महाप्रबंधक से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी। जबकि मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी का कहना है कि मैं आपके इस हंगामा सुविधा को डि-एक्टिवेट कर दे रहा हूं। लेकिन आपको वह अतिरिक्त राशि बीएसएनएल को जमा करना पड़ेगा, बाद में वह अतिरिक्त रकम निर्णय होने पर अगले बिल में एडजस्ट कर दिया जायेगा। दूरसंचार विभाग में प्रतिदिन इस हंगामा सुविधा से परेशान लोग चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। केवल इलाहाबाद में ही हजारों की संख्या में बिल पेंडिंग पड़े हुए हैं। जिसका मतलब यह कि गोरखधंधा अन्य जिलों में भी चल रहे होंगे। इस लिहाज से यह करोड़ों रूपये का मामला है। कहीं ऐसा तो नहीं बीएसएनएल के उच्च अधिकारियों की भी इसमें मिलीभगत हो। उपभोक्ताओं ने सरकार से दूरसंचार विभाग के इस घोटाले की जांच कराने की मांग की है।