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जब भावुक होकर रो पड़ते है, योगी आदित्यनाथ।

C.M.की कहानी उनके शिष्य की जबानी।
स्वभाव से बेहद सख्त व हठीले दिखने वाले योगी आदित्यनाथ नारियल की तरह न सिर्फ अन्दर से बेहद भावुक है बल्की जल्दी ही द्रवित भी हो जाते है। गोरखनाथ पीठ मे धूमते हुए सौभाग्य वस अचानक योगी के परम सेवक व सीएम आदित्यनाथ की पीठ में गैरमौजूदगी में पीठ की प्रशासनिक व्यवस्था संभाल रहे  द्वारिका तिवारी जी से मिलना हुवा।

जिन्होंने योगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें साझा की जो उनके सख्त स्वभाव का दूसरा पहलू है और जिसे सायद उनके बेहद करीबी ही जानते है। योगी के दिक्षा, शिक्षा व स्वभाव के साथ इन्होंने सीएम के पीठ में बिताए दिनों की बातें शेयर कीं।
तिवारी मानते हैं कि योगी अपने गुरु के आशीष के कारण ही आज सीएम हैं। वे हर अचीवमेंट पर अपने गुरु को याद करते हुए फफककर रोने लग जाते हैं।  आदित्यनाथ बड़े महराज जी की हर आज्ञा मानते थे।  वो उनका ऑर्डर हर हाल में पूरा करते थे। यही नहीं, उनके सामने वे गूंगे के समान रहते थे। उन्होंने योगी की आदतों के बारे में बताया कि “छोटे महराज रोज शाम एक घंटे तक बड़े महराज जी के चरण में बैठकर सांसारिक, सामाजिक, राजनैतिक ज्ञान का अर्जन करते थे। वे आज भी उन्हें उसी तरह सम्मान देते हैं, जैसा पहली मुलाकात पर दिया था।”एक हफ्ते में हो गया था अंदाजा, छोटे महाराज बनेंगे योगी… द्वारिका तिवारी ने पुराने दिन याद करते हुए बताया,”छोटे महराज जी (योगी आदित्यनाथ) 1994 में गोरखपुर पीठ में आए थे। तब उनकी उम्र महज 20-22 साल की रही होगी।”
-“शिक्षा ग्रहण करने के लिए वे मेरे साथ आकर बड़े महाराज जी के समक्ष बैठते थे। उनके साथ महज हफ्ताभर बिताने के बाद ही मुझे अंदाजा हो गया था कि ये लड़का आगे चलकर गुरु अवैधनाथ का उत्तराधिकारी बनेगा।”
– द्वारिका के मुताबिक आदित्यनाथ जिज्ञासु थे। वे हर छोटी-बड़ी बात उनसे जानने की कोशिश करते थे। बड़े महराज जी के सानिध्य में रहकर उन्हें जितना ज्ञान प्राप्त हुआ था वे योगी को बताते थे।
कौन हैं द्वारिका तिवारी-
– द्वारिका स्टूडेंट लाइफ से ही पीठ से जुड़े हैं।  गोरखपुर यूनिवर्सिटी से बीए की पढ़ाई के दौरान उनका मठ में आना-जाना रहता था। तब मठ का इतना विस्तार नहीं था। मठ से जुड़ने के बाद इन्होंने प्राचीन इतिहास से एमए और साहित्य दर्शन से आचार्य की डिग्री हासिल की। इस बीच बीएड भी किया और एलएलबी में दाखिला भी ले लिया। पारिवारिक कारणों से एलएलबी की डिग्री पूरी नहीं कर सके। तब से मंदिर के एक सेवक के रूप में कार्य कर रहे हैं। तीन साल पहले गुरु गोरक्षनाथ संस्कृत विध्यापीठ डिग्री कॉलेज के इंग्लिश डिपार्टमेंट हैड पद से रिटायर हुए हैं।
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