करिश्मा अग्रवाल
सऊदी अरब को संयुक्त राष्ट्रसंघ के महिला आयोग का सदस्य चुना गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक और सामाजिक परिषद ईसीओएसओसी ने सऊदी अरब को 4 वर्षों के लिए महिला आयोग का सदस्य चुना है। सऊदी अरब को राष्ट्रसंघ महिला आयोग का सदस्य बनाये जाने पर मानवाधिकार गुटों और संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
सऊदी अरब के महिला आयोग का सदस्य चुने जाने पर ह्यूमन राइट्स वाच ने एक विज्ञप्ति जारी करके इस चयन को अर्थहीन बताया है। ह्यूमन राइट्स वाच के अनुसार सऊदी अरब का यह चयन ठीक वैसा ही है जैसे आग लगाने वाले को ही, अग्निशमन दल का मुखिया बना दिया जाए।
कुछ संगठनों का कहना है कि बड़े आश्चर्य की बात है कि महिलाओं के अधिकारों का हनन करने वाले सऊदी अरब को एक एसे आयोग का सदस्य चुना गया है जो लैंगिक समानता के प्रचार और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से समर्पित है।
उल्लेखनीय है कि महिलाओं के अधिकारों के हनन के कारण हालिया वर्षों में सऊद शासन की कड़ी निंदा होती रही है। सऊदी अरब दुनिया का वह एकमात्र देश है जहां पर महिलाओं को ड्राइविंग से रोका जाता है। यदि किसी महिला को गाड़ी चलाते देख लिया जाए तो उसको गिरफ़्तार करके अदालत भेज दिया जात है। मानवाधिकारों के संबन्ध में संयुक्त राष्ट्र के विशेष संवाददाता फिलिप एल्स्टन ने कहा था कि सऊदी अरब में महिलाओं पर ड्राइविंग पर लगे प्रतिबंध हटा दिये जाने चाहिए।