शबाब ख़ान
“आज का दिन देश और देशवासियों के लिए बेहद खास है, वो यूं क्योंकि आज ही के दिन भारत ने पूरे विश्व में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्नीस वर्ष पूर्व तीन न्यूक्लियर परीक्षण के सफल होने की घोषणा की थी। जिसने न सिर्फ अमेरिका को ही बल्कि पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया था। “
11 मई, 1998 को राजस्थान के पोखरण में भारत ने व्हाइट हाउस कोड नाम के शॉफ्ट में अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। जिसकी गूंज कई दिन तक अमेरिका के राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस में गूंजती रही। इस धमाके की आवाज़ को पूरी दुनिया ने बड़ी ही शिद्दत से महसूस की।
लिटिल बॉय परमाणु बम से अधिक शक्तिशाली
भारत ने पोकरण में 58 किलोटन क्षमता के परमाणु बम का परीक्षण कर सभी को चौंका दिया। यह परमाणु अमेरिका की ओर से दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बम लिटिल बॉय से चार गुना अधिक शक्तिशाली था।
मिसाइल मैन ने संभाली थी कमान
भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण में जुटी वैज्ञानिकों की टीम के लीडर रहे पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर दिवंगत एपीजे अब्दुल कलाम। उनके साथ देश के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम थे। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के निदेशक अनिल काकोड़कर, सतिंदर सिक्का, एम एस रामाकुमार, डीडी सूद, एस के गुप्ता, जी गोविंदराज थे। डीआरडीओ से के. संथानम भी प्रोजेक्ट का हिस्सा थे।
परमाणु परीक्षण सफल होते ही उन्होंने हॉट लाइन पर सीधे अटल बिहारी वाजपेयी से बात की। बेसब्री से इस फोन का इंतजार कर रहे वाजपेयी से कलाम ने इतना ही कहा कि एक बार फिर बुद्ध मुस्करा उठे हैं, ज्ञात हो कि इंदिरा गॉधी नें 1974 में भारत का पहला परमाणु परिक्षण करवाया था और उस परमाणु परिक्षण का कोडनेम ‘स्माईलिंग बुद्धा’ था। इतना सुनते ही वाजपेयी खुशी और गर्व भरी मुस्कान के साथ खिल उठे।
तनाव भरे माहौल में हुआ परीक्षण
क्लियर टेस्ट से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भरा माहौल था। 6 अप्रैल के दिन पाकिस्तान ने अपनी 1500 किलो मीटर रेंज वाली गौरी मिसाइल का परीक्षण किया था। इसमें 700 किलो वजन लादा जा सकता था। इस दौरान दोनों देशों के बीच सीजफायर का उल्लंघन भी हो रहा था।
विस्फोट से पहले किया था दौरा
परमाणु परीक्षण के लिए भारत ने पूरी गोपनियता बरती। वर्ष 1995 में ऐसे ही एक प्रयास का अमरीकी जासूसों ने पता लगा लिया था और दबाव में भारत को अपना परीक्षण टालना पड़ा। इस बार भारत कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था। कलाम और उनकी टीम ने कई बार परीक्षण स्थल का दौरा किया।
इसके लिए कलाम के साथ आर चिदम्बरम व अनिल काकोडकर ने मुख्य भूमिका निभाई। अमरीका जासूसी सेटेलाईट से बचने के लिए इन वैज्ञानिको ने सैन्य अधिकारियों का रूप धरा था। ये लोग कई माह तक इस क्षेत्र में सैन्य अधिकारी के रूप में घूमते रहे, लेकिन किसी को भनक तक नहीं पड़ी। कलाम को मेजर जनरल पृथ्वीराज तो चिदम्बर को मेजर जनरल नटराज और काकोडकर को भी एक अन्य मेजर जनरल की वर्दी पहनाई गई।
दो दिन में पांच परमाणु परीक्षण
इस परमाणु परीक्षण को दो दिन में 5 विस्फोट के जरिये किया गया था पहले धमाके में 45 किलोटन का थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस लगाया गया। दूसरे धमाके में 12 किलोटन, तीसरे में 0.3 किलोटन, चौथे में 0.5 किलोटन और पांचवें में 0.2 किलोटन का डिवाइस लगाया गया था।
मुंबई में तैयार परमाणु बमों को बड़ी गोपनियता के साथ सेब रखने के लिए बनी लकड़ी की पेटियों में रख एक मालवाहक विमान से चिदम्बरम और काकोडकर जैसलमेर लेकर आए। वहां से सड़क मार्ग से इन्हें लेकर वे पोखरण परीक्षण स्थल तक पहुंचे और बमों को कलाम को सौंप दिया। भारत ने यहां दो दिन में पांच परमाणु परीक्षण किए।
पीएम नरेंद्र मोदी का ट्वीट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पोखरण परमाणु परीक्षण की वर्षगांठ पर मनाए जाने वाले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिखाए गए साहस की प्रशंसा की। उन्होंने ट्वीट किया, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर हर किसी को बधाई, खासतौर से हमारे परिश्रमी वैज्ञानिकों और तकनीक के प्रति जुनूनी लोगों को। उन्होंने कहा, हम 1998 में पोखरण में दिखाए गए साहस के लिए हमारे वैग्यानिकों और उस समय के राजनीतिक नेतृत्व के प्रति आभारी हैं।
गौरतलब है कि भारत के वैज्ञानिक कौशल और तकनीकी प्रगति को चिन्ह्ति करने के लिए वर्ष 1998 से 11 मई के दिन को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।