तब्जील अहमद
कौशाम्बी. मा0 जिला जज दिलीप सिंह यादव ने त्वरित गति से न्यायिक प्रक्रियाओं को पूरा करते हुये मात्र 22 दिन में 302 के मुलजिम को सजा सुनाकर मिशाल कायम की है। एस0टी0 नम्बर 74/2017 अपराध संख्या-542/2016 धारा-302 आई0पी0सी0 सरकार बनाब शिवबाबू पासी के मामले में त्वरित गति से समस्त न्यायिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुये अभियुक्त विचाराधीन कैदी शिवबाबू पासी को 22 दिन में आई0पी0सी0 की धारा-302 के तहत दोषी मानते हुये सजा सुनाई।
अभियुक्त के विरूद्ध 17.12.2016 को वादी शान्तिभूषण मिश्रा के द्वारा थाना सराय आकिल मंे एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गयी, वादी की तरफ से सरकारी वकील जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी श्री विनय कुमार यादव थे तथा अभियुक्त की तरफ से न्याय मित्र के रूप मंे धर्म नारायण मिश्रा को उपलब्ध कराया गया था। मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट की कोर्ट में 17.02.2017 को आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया। 22.03.2017 को केस सत्र न्यायालय को कमिट किया गया। जिला जज दिलीप सिंह यादव के द्वारा 12.04.2017 को आरोप पर सुना गया, 13.04.2017 को आरोप बना। 14.04.2017 को गवाही शुरू हुई जिसमंे 27.04.2017 को अभियोजन की गवाही समाप्त हो गयी। 28.04.2017 को धारा-313 के तहत अभियुक्त का बयान दर्ज किया गया। 29.04.2017 को अभियुक्त को सफाई का मौका दिया गया, उसी दिन मामले पर बहस हुई शेष बहस 02.05.2017 को सुनी गयी। 05.05.2017 को जिला जज द्वारा निर्णय सुनाया गया और मुलजिम को दोषी सिद्ध किया गया। 06.05.2017 को सजा के बिन्दु पर सुना गया तथा 06.05.2017 को ही मा0 जिला जज के द्वारा अभियुक्त/विचाराधीन कैदी को भारतीय दण्ड संहिता की धारा-302 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी, साथ ही साथ 2000 रूपये का जुर्माना भी निर्धारित किया गया। इस तरह से सत्र न्यायालय मंे मामला सुपुर्द होने के बाद मात्र 22 दिन मंे विचाराधीन कैदी को सजा सुनाई गयी।