हिंदी और भोजपुरी सिनेमा कलाकार हैदर काज़मी ने दादा साहब फाल्के अवॉर्ड्स 2017 में बनाई अपनी जगह
हैदर काज़मी ने न केवल जहानाबाद ज़िले बल्कि बिहार के साथ साथ अपने देश का भी नाम रौशन किया है। हैदर काज़मी को यह अवार्ड उनकी आगामी फ़िल्म ‘ज़िहाद’ में उनकी दमदार और सशक्त नेगेटिव किरदार के लिए मिला है। इस फ़िल्म में दर्शकों को उनका एक अलग ही रूप देखने को मिलेगा। इससे पहले भी हैदर अपनी अन्य फिल्मों (हिंदी व भोजपुरी) में दर्शको के बीच अपने दमदार और संजीदा अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं। हैदर ज्यादातर रीयलिस्टिक और अर्थपूर्ण किरदार ही निभाते देखे गए हैं।
अवॉर्ड लेने के बाद मीडिया को उन्होंने बताया की “यह फ़िल्म फ़िल्म फेस्टिवल के लिए गई है, और यह फ़िल्म साल के अंत तक वर्ल्ड वाइड प्रदर्शित होगी। दादा साहब फाल्के अवार्ड तो सिर्फ शुरुआत है, अभी साल के अंत तक ‘जिहाद’ को ऐसे कई और अवॉर्ड्स बटोरने हैं।”
बिहार के ज़िला जहानाबाद के काको पाली कस्बे में जन्मे हैदर काज़मी का परिचय सबसे पहले ‘द लेजेंड श्री मनोज कुमार’ ने ‘भारत के शहीद’ में कराया जिसमे हैदर ने खुदी राम बोस का किरदार निभाया। 1993 में ‘महापाश’ में अभिनय किया जो की ‘फ़्रांस टेलीफिल्मस् फ़ेस्टिवल’ के लिए चुनी गई। इसके बाद हैदर ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इसके बाद रामानंद सागर के चर्चित् धारावाहिक ‘अलिफ़ लैला’ से लेकर ‘साईं बाबा’ धारावाहिक में टाइटल रोल इन्होंने किये और दर्शको में अपनी पहचान बनाई।
2002 में राजकुमार कोहली की फ़िल्म ‘जानी दुश्मन-एक अनोखी कहानी’ में देखे गए। 2003 में बतौर प्रोड्यूसर इन्होंने एक नई पारी की शुरुआत की और ‘पथ’ का निर्माण किया जिसमें हैदर के अलावा शरद कपूर, पायल रोहतगी, शमा सिकंदर और राखी सावंत ने भी अभिनय किया। उसके बाद बॉबी-2 और अन्य कई फिल्म आई। हिंदी के साथ ही भोजपुरी सिनेमा में भी हैदर काज़मी ने बतौर सुपरस्टार एक्टर और प्रोड्यूसर काम किया जिनमें ‘रंगबाज’, ‘कालिया’ ‘बिगुल’ और ‘लड़ाई’ उनकी मुख्य चर्चित फिल्में हैं।