सुहैल अख्टर घोसी(मऊ)। स्थानीय नगर से सटे मानिकपुर असना गांव में मंगलवार की रात में ”एक शाम शहीदे उर्दू जयबहादुर सिंह के नाम” से एक मुशायरा व कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इस मुशायरा की शदारत भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान व निजामत मशहूर शायर अनवर जलालपुरी ने की।
मुशायरे का आगाज घायल आज़मी के नाते पाक से हुआ। इसके बाद प्रतापगढ़ से आये हास्य व्यंग के कवि कमल प्रतापगढ़ी ने अपनी हास्य रचना से सबको गुदगुदाया। मिथिलेश गहमरी ने “मस्जिद नही होती ये शिवालय नही होता, परदे में अगर जानने वाला नही होता”। कुँवर जावेद ने पढ़ा की “दिया बनू तो फतिंगा नसीब हो मुझको, नहाना चाहूँ तो गंगा नसीब हो मुझको, मेरी तमन्ना अगर कोई है तो बस ये है मैं मरू तो तिरंगा नसीब हो मुझको”। इसी क्रम में फलक सुल्तानपुरी, शबीना अदीब व रश्मी शाक्या ने अपनी रचना के माध्यम से लोगो को सुनाया ” मैंने देखा है तुम्हे तुम भी ज़रा देखो इधर फकत एक नज़र एक नज़र”। काविश रुदौलवी ने पढ़ा कि “होंगे शैतान वो इंसान नही हो सकते मेरे आका गुलामान नही हो सकते”। सलमान घोसवी ने पढ़ा की “हवा के ज़द पे दिया हम जला के देखेंगे, यही हुनर है मेरा आज़मा के देखेंगे”। राहत इंदौरी ने सुनाया कि “मुकाबले में कई सुरमा खड़े थे मगर चुनाव हार गए और मशीन जीत गयी”। इसी क्रम में जौहर कानपुरी ने पढ़ा कि “जब मेरा दुश्मन मेरी गर्दन उड़ाने आएगा उसे मैं ऐसा मिलूँगा गले लग जायेगा”। इस मुशायरे व कवि सम्मेलन में कई कवियो ने हिस्सा लिया बिहारी लाल अम्बर, राजेश राही, छोटा इमरान , फारूक दिलकश, मैकश आज़मी, शकील मुबारकपूरी, तारिक घोसवी, खैरुल बशर, शरीफुल हक़ शरीफ, काविश रुदौलवी ने अपने शायरी के माध्यम से लोगों का दिल जीता।
इस मुशायरे की अध्यक्षता सम्बोधन में अतुल कुमार अंजान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में उर्दू को दूसरी राज भाषा दिलाने में स्वर्गीय जयबहादुर का अप्रतिय योगदान रहा और उन्हें शहीदे उर्दू का ख़िताब मिला। उनके नाम पर आयोजित यह मुशायरा व कवि सम्मेलन एक संवेदनशील सोच को जनम देगा और देश व समाज के रचनात्मक दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। इस मौके पर शायरों व कवियो का हौसला अफज़ाई के लिए रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह , नगर पंचायत अध्यक्ष घोसी वसीम इक़बाल उर्फ़ चुन्नू भाई, ब्लाक प्रमुख घोसी सुजीत सिंह, वरिष्ट पत्रकार प्रदीप कपूर, सपा प्रवक्ता मनीष सिंह, सपा नेता अल्ताफ अंसारी पूरी रात मौजूद रहे वही मुशायरे को कामयाब बनाने में मनोज कुमार सिंह, क़ाज़ी मोशफ्फे जमाल उर्फ़ चन्दू भाई, हाजी गुफरान , इफ्तेखार अहमद,शन्नू आज़मी, इंतेखाब आलम, अर्चना उपाध्याय, पीएन सिंह, संजय सिंह, आकिब सिद्दीकी, अरविन्द पांडेय, बद्री तिवारी, शेख हिसामुद्दीन आदि लोग मौजूद रहे।