याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 के बजाए 227 में तब्दील
आफताब फारुकी
इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत दाखिल याचिका अनुच्छेद 227 में तब्दील कर दी है। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की तरफ से दाखिल संशोधन अर्जी को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और याचिका को सक्षम न्यायपीठ के समक्ष सुनवाई हेतु पेश करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी व उ.प्र. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ की तरफ से दाखिल याचिकाआंे की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका के अनुसार पूजा अधिकार कानून 1991 आने के बाद काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर ट्रस्ट ने वाराणसी की सिविल कोर्ट में वक्फ मस्जिद शाही आलमगिरी को मंदिर की जमीन से हटाकर पूरी जमीन का कब्जा सौंपने की मांग में मुकदमा दायर किया। मस्जिद की तरफ से मुकदमे की ग्राहयता पर आपत्ति की गयी। सिविल कोर्ट ने वाद बिन्दु बनाते हुए पक्ष रखने को कहा। इसके खिलाफ पुनरीक्षण याचिका पर कोर्ट ने आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहाकि साक्ष्य लेने के बाद प्रारंभिक आपत्ति का निस्तारण होगा। इन दोनों आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पक्षकार बनाने की अर्जी दी उसे निरस्त कर दिया गया। उसे भी चुनौती दी गयी है। हाईकोर्ट से अधीनस्थ न्यायालय के आदेश पर रोक लगी है। याची का कहना है कि पूजा अधिकार कानून लागू होने के बाद सिविल वाद पोषणीय नहीं है। इसलिए मुकदमा खारिज किया जाए। मंदिर की तरफ से कहा गया कि पूरी जमीन मंदिर की है। चारों तरफ मूर्तियों की पूजा होती है। औरंगजेब ने मंदिर तुडवाकर मलबे से मस्जिद बनवाया है। मंदिर पर अवैध निर्माण हटाया जाए और मंदिर की स्थिति बहाल की जाए। अब मामले की सुनवाई क्षेत्राधिकार वाली पीठ करेगी।