Categories: Crime

तो एक ही झटके में हो जायेगे प्रदेश में पौने दो लाख लोग बेरोजगार

सुप्रीम कोर्ट का यूपी के 1.75 लाख शिक्षामित्रों को हटाने का संकेत

शबाब ख़ान

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि यूपी में शिक्षण कार्य कर रहे पौने दो लाख शिक्षामित्रों को हटाकर उन्हें नए सिरे से भर्ती करने का आदेश दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि नई भर्ती होने तक मौजूदा शैक्षणिक सत्र तक शिक्षामित्रों को कार्य करने दिया जाएगा और जैसे ही नई भर्ती संपन्न होगी उन्हें उससे बदल दिया जाएगा।

जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की पीठ ने मंगलवार को ये टिप्पणियां तब की जब यूपी के एएजी अजय कुमार मिश्रा और नलिन कोहली ने कहा कि यदि सर्वोच्च अदालत हाईकोर्ट के फैसले को कोर्ट सही मान रही है तो हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन हम 22 सालों से काम कर रहे पौने दो लाख लोगों का क्या करेंगे। कोर्ट ने कहा कि इसका समाधान हम बताएंगे।
पीठ ने कहा कि आप छह माह के अंदर नई भर्ती कीजिए। इस भर्ती को दिसंबर तक पूरा कीजिए। ऑनलाइन आवदेन सिस्टम से यह संभव है। इसके बाद अगले वर्ष मार्च तक नियुक्तियां कीजिए। तब तक शिक्षामित्रों को अध्यापन करने दीजिए। उन्हें इस भर्ती में बैठने का पूरा अधिकार होगा, उनके लिए उम्रसीमा का बंधन नहीं होगा, क्योंकि वह पहले से पढ़ा रहे हैं। जहां तक उन्हें दी जाने वाली वरिष्ठता का सवाल है तो यूपी सरकार नियम बनाकर उसे तय कर सकती है। इसमें कोई समस्या नहीं है।
नियुक्तियां असंवैधानिक
कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्तियां संवैधानिक के खिलाफ हैं क्योंकि आपने बाजार में मौजूद प्रतिभा को मौका नहीं दिया और उन्हें अनुबंध पर भर्ती करने के बाद उनसे कहा कि आप अनिवार्य शिक्षा हासिल कर लो। पीठ ने कहा कि यह बैकडोर एंट्री है जिसे उमादेवी केस (2006) में संविधान पीठ अवैध ठहरा चुकी है।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध ठहरा दिया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था।
दूरदराज शिक्षा देने के लिए की थी भर्ती
यूपी सरकार ने कहा कि 1999 में शिक्षामित्रों की भर्ती प्रदेश के दूरदराज केक्षेत्रों में बालकों को बेसिक शिक्षा देने के लिए की गई थी। यह एक कल्याणकारी कदम था जिसके पीछे कोई गलत मंशा नहीं थी। उन्होंने कहा कि 22 साल से चल रही यूपी सरकार की इस नीति को चुनौती नहीं दी है। जिन्होंने चुनौती दी है उनकी संख्या लगभग 200 है और उन्हें सरकार नौकरी में लेने को तैयार है।
अच्छी मंशा आंखों का धोखा है
कोर्ट ने कहा हम मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं हम यह पूछ रहे हैं कि आपने शिक्षामित्रों को योग्यता शिक्षा हासिल (बीएड,बीटीसी, दूरस्थ बीटीसी और टीईटी) करने के लिए किस नियम के तहत अनुमति दी। क्या आपने इसके लिए कोई विज्ञापन निकाला था क्या कोई चयन प्रक्रिया तय की थी। आपकी कल्याणकारी मंशा कुछ नहीं, आंखों का धोखा मात्र है, आपने नियमों के विरुद्ध भर्ती की है। जस्टिस ललित ने पूछा आप इस नतीजे पर किस आधार पर पहुंचे कि प्रदेश में पौने दो लाख शिक्षामित्रों की जरूरत है और आपने मार्केट में मौजूद प्रतिभा को महरूम कैसे किया। क्या इसे निष्पक्ष प्रतियोगिता कहा जा सकता है। आप कह रहे हैं इसे किसी ने चुनौती नहीं दी। जब तक ये अनुबंध था किसी को समस्या नहीं थी लेकिन जब आप नियमित करने लगे तक समस्या हुई। बिना विज्ञापन आप नियमित कैसे कर सकते हैं।
कोर्ट मामले को आज की समाप्त करना चाहता था लेकिन कुछ शिक्षामित्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने वह कुछ बहस करेंगे। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को बचकाना बताया और कहा कि उन्होंने यह नहीं देखा कि शिक्षामित्र रखने को उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा देना था। अच्छी मंशा आंखों का धोखा है।
कोर्ट ने कहा हम मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं हम यह पूछ रहे हैं कि आपने शिक्षामित्रों को योग्यता शिक्षा हासिल (बीएड,बीटीसी, दूरस्थ बीटीसी और टीईटी) करने के लिए किस नियम के तहत अनुमति दी। क्या आपने इसके लिए कोई विज्ञापन निकाला था क्या कोई चयन प्रक्रिया तय की थी। आपकी कल्याणकारी मंशा कुछ नहीं, आंखों का धोखा मात्र है, आपने नियमों के विरुद्ध भर्ती की है। जस्टिस ललित ने पूछा आप इस नतीजे पर किस आधार पर पहुंचे कि प्रदेश में पौने दो लाख शिक्षामित्रों की जरूरत है और आपने मार्केट में मौजूद प्रतिभा को महरूम कैसे किया। क्या इसे निष्पक्ष प्रतियोगिता कहा जा सकता है। आप कह रहे हैं इसे किसी ने चुनौती नहीं दी। जब तक ये अनुबंध था किसी को समस्या नहीं थी लेकिन जब आप नियमित करने लगे तक समस्या हुई। बिना विज्ञापन आप नियमित कैसे कर सकते हैं।
कोर्ट मामले को आज की समाप्त करना चाहता था लेकिन कुछ शिक्षामित्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने वह कुछ बहस करेंगे। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले पर कहा कि उन्होंने यह नहीं देखा कि शिक्षामित्र रखने को उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा देना था। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने फैसला देते समय एक भी शिक्षामित्र को नोटिस नहीं दिया था। कोर्ट का समय पूरा होने के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी इसलिए कोर्ट ने मामला कल तक के लिए स्थगित कर दिया।
pnn24.in

Recent Posts

महापर्व डाला छठ: अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को व्रती महिलाओ ने दिया अर्घ्य, गंगा नदी के किनारो पर उमड़ा आस्‍था

रेयाज़ अहमद गाजीपुर: सूर्य षष्ठी के महापर्व डाला छठ शहरी और ग्रामीण अंचलो में अपरा…

5 hours ago

अस्तांचल सूर्य को दिया व्रती महिलाओं ने अर्घ्य

उमेश गुप्ता बिल्थरारोड (बलिया): अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देकर मनौती पूर्ण करने की गुहार लगाने…

5 hours ago

शाहजहांपुर में खेत में जुताई के दरमियान मिला तलवारों, बन्दूको का ज़खीरा

फारुख हुसैन डेस्क: शाहजहांपुर के निगोही थाना क्षेत्र के ढकीया तिवारी गांव में स्थित एक…

6 hours ago

मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मिला अदालत का ज़मानती वारंट, बोली ‘जिंदा रहूंगी तो अदालत में ज़रूर पेश होऊगी’

मो0 कुमेल डेस्क: भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर को एनआईए कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट…

7 hours ago