समीर मिश्रा
ईरान के संसद सभापति डाक्टर अली लारीजानी ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के सऊदी अरब के दौरे की ओर संकेत करते हुए कहा कि रियाज़ आतंकवाद का गढ़ है। रविवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाज़ में आतंकवाद के संघर्ष के विषय पर अरब-मुस्लिम देशों के कुछ राष्ट्राध्यक्षों और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की संयुक्त बैठक आयोजित हुई।
ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के संसद सभापति डाक्टर अली लारीजानी ने मंगलवार को रियाज़ की हालिया बैठक पर प्रतिक्रिय व्यक्त करते हुए कहा कि सऊदी और अमरीकी एेसी स्थिति में आतंकवाद से संघर्ष का दावा कर रहे हैं कि इतिहास के दौरान इन दोनों देशों ने आतंकवादी विचारधाराएं फैलाने और विभिन्न प्रकार के कट्टरपंथी दृष्टिकोणों को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संसद सभापति ने कहा कि यदि अमरीका सऊदी अरब से दुनिया के दूसरे देशों में पैसा भेजने और हथियारों की सप्लाई को रोकने में सफल रहता तो न तो न्यूयार्क के दो जुड़वां टावर्स में धमाके होते और न ही इराक़, सीरिया और लेबनान के हज़ारों लोग मारे जाते और घायल होते। ईरान के संसद सभापति ने बल दिया हे कि इस्लामी जगत की रक्षा के लिए ईरान की रक्षा शक्ति विशेषकर मीज़ाइल क्षमता मजब़ूत की जाएगी और तेहरान को इसके लिए किसी से अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
डाक्टर अली लारीजानी ने कहा कि आतंकवाद से गंभीर संघर्ष, हम सबका इस्लामी दायित्व है। उन्होंने ग्यारह सितंबर की घटना के बारे में अमरीकी अधिकारियों की हालिया रिपोर्ट और इस घटना में सऊदी अधिकारियों की भूमिका की ओर संकेत करते हुए कहा कि निंसंदेह दाइश, नुस्रा फ़्रंट और दूसर दसियों आतंकवादी गुटों को सऊदी अरब और क्षेत्र के कुछ छोटे देशों का समर्थन प्राप्त है और इन्हीं देशों ने इन गुटों को अस्तित्व प्रदान किया है।
संसद सभापति ने यह बयान करते हुए कि आले सऊद शासन, इस्राईल के विरुद्ध संघर्ष के लिए किसी भी प्रकार के बलिदान और ख़र्चे के लिए तैयार नहीं है, कहा कि यह एक इस्लामी देश के माथे पर कलंक है जो अपनी राजधानी में दो अरब प्रतिरोध कर्ता गुटों हमास और हिज़्बुल्लाह को जो ज़ायोनी शासन से संघर्ष में सर्वोपरि है, आतंकवादी घोषित कर रहा है।