जावेद अंसारी
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज लखनऊ में बिना नाम लिए बिना कहां की वह आस्तीन के सांपों को पहचान गये हैं समाजवादी पार्टी के दफ्तर में आज पार्टी के संस्कृति प्रकोष्ठ की मीटिंग थी जिसमें कुछ सपेरे अपना बीन बजाकर कर अपना हुनर दिखा रहे थे अखिलेश ने बताया कि यह सपेरे बिन बजाकर कर पार्टी का प्रचार करेंगे उसी वक्त वहां यह खबर आई थी उनके चाचा शिवपाल यादव ने सेकयूलर मोर्चा बनाने का ऐलान किया है इस पर एक रिपोर्टर ने जब उनसे यह पूछा कि यह सपेरे बीनबजा कर पार्टी का प्रचार करेंगे या आस्तीन का सांप भी निकालेंगे इस पर अखिलेश ने कहा कि “संपेरों का हुनर झाड़ियों और बिलो में साफ निकालना है लेकिन हम लोग नेता हैं आस्तीन के सांप पहचान लेने का हुनर हमारा है|
शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चे पर दिए गए बयान पर जब अखिलेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, मुझे सेक्युलर फ्रंट बनाने की जानकारी नहीं है, सेक्युलर मोर्चा बनना चाहिए ये अच्छी बात है, अखिलेश ने कहा, सपेरे कहीं से भी सांप निकाल सकते हैं, हम लोग आस्तीन के सांप को पहचानते हैं| कांग्रेस से गठबंधन पर अखिलेश ने कहा कि भले ही कांग्रेस निकाय चुनाव अलग लड़ रही है लेकिन कांग्रेस के साथ आगे हमारा गठबंधन रहेगा। कांग्रेस के यूपी चीफ राज बब्बर ने बीते दिनों कहा था कि कांग्रेस निकाय चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी किसी गठबंधन के साथ नहीं। दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा के साथ गठबंधन किया था और करारी हार मिली थी। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुई यादव परिवार की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है क्योंकि विधानसभा चुनाव के वक्त से अखिलेश यादव ने बार-बार के बयान दिया था कि 3 महीने बाद पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मुलायम सिंह को लौटा देंगे इस लिए अब इसे लेकर अखिलेश यादव से सवाल पूछे जाने लगे हैं|
चंद दिनो पहले इसी मुद्दे पर शिवपाल और रामगोपाल यादव के बीच भी जुबानी तीर चली थी रामगोपाल यादव से जब मीडिया ने पूछा कि शिवपाल यादव अखिलेश से कह रहे हैं कि वह मुलायम सिंह को अध्यक्ष पद लौट आए तो रामगोपाल ने कहा कि शिवपाल बेकार की बात करते हैं क्योंकि उन्होने पार्टी का संविधान नहीं पड़ा है इसके जवाब में शिवपाल ने कहा कि मैंने संविधान पढ़ा हो या नहीं लेकिन सकुनी को गीता जरूर पढ़ लेनी चाहिए| कुल मिलाकर अब लोग इस बात के इंतजार में है कि शिवपाल का सेक्यूलर मोर्चा कब वजूद में आता है और कब वह राजनीतिक दल बनता है|