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बढ़ती गर्मी में रक्तदान करने आगे आये महिला पुरुष

अब्दुल रज़्ज़ाक थोई
कोटा– रक्तदान महादान ग्रुप कोटा बूंदी व जेसीआई एलीगेन्स के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित रक्तदान कैम्प नयापुरा स्थित आईएमए हाल में लगाकर 30 यूनिट रक्तदान किया जिसमे महिला व पुरुष रक्तदाताओं ने सहयोग किया।रक्तदान संयोजक सुरेन्द्र अग्रवाल और  सी.पी.मीणा(चन्दू)  ने बताया कि अतिथि के तौर पर बूंदी के उप जिला प्रमुख सत्येन्द्र मीणा,भाजपा जिला मंत्री शहर भाजपा कोटा मुकेश विजय,अग्रवाल समाज के प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण अग्रवाल,स्टूडेंट्स हेल्प सोसायटी के प्रदेश महासचिव नितेश मालव ,जेसीआई एलीगेन्स की संस्थापक डा.मेघना शेखावत व समाजसेवी नीलम विजय रहे।

उप जिला प्रमुख सत्येन्द्र मीणा ने रक्तदाताओं को प्रेरित करते हुये कहा कि ब्लड डोनेट कर एक शख्स दूसरे शख्स की जान बचा सकता है।ब्लड का किसी भी प्रकार से उत्पादन नहीं किया जा सकता और न ही इसका कोई विकल्प है।देश में हर साल लगभग 250 सीसी की 4 करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है। सिर्फ 5,00,000 यूनिट ब्लड ही मुहैया हो पाता है।हमारे शरीर में कुल वजन का 7% हिस्सा खून होता है।आंकड़ों के मुताबिक 25 प्रतिशत से अधिक लोगों को अपने जीवन में खून की जरूरत पड़ती है।ब्लड डोनेशन से हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि डोनेशन से खून पतला होता है, जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है।भाजपा कोटा शहर जिला मंत्री मुकेश विजय ने बताया कि एक नई रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेट करने से कैंसर व दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है, क्योंकि यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।ब्लड डोनेट करने के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है। इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है।अग्रवाल समाज के प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण अग्रवाल ने कहा कि ब्लड डोनेशन सुरक्षित व स्वस्थ परंपरा है। इसमें जितना खून लिया जाता है, वह 21 दिन में शरीर फिर से बना लेता है। ब्लड का वॉल्यूम तो शरीर 24 से 72 घंटे में ही पूरा बन जाता है।स्टूडेन्टहेल्प सोसायटी के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि ब्लड देने से पहले मिनी ब्लड टेस्ट होता है, जिसमें हीमोग्लोबिन टेस्ट, ब्लड प्रेशर व वजन लिया जाता है।जेसीआई एलीगेन्स की संस्थापक डा.मेघना शेखावत ने बताया कि ब्लड डोनेट करने के बाद इसमें हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी, सिफलिस और मलेरिया आदि की जांच की जाती है। इन बीमारियों के लक्षण पाए जाने पर डोनर का ब्लड न लेकर उसे तुरंत सूचित किया जाता है।महिला समाजसेवी नीलम विजय ने बताया कि ब्लड की कमी का एकमात्र कारण जागरूकता का अभाव है।18 साल से अधिक उम्र के स्त्री-पुरुष, जिनका वजन 50 किलोग्राम या अधिक हो, वर्ष में तीन-चार बार ब्लड डोनेट कर सकते हैं।ब्लड डोनेट करने योग्य लोगों में से अगर मात्र 3 प्रतिशत भी खून दें तो देश में ब्लड की कमी दूर हो सकती है। ऐसा करने से असमय होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।ब्लड डोनेट करने से पहले व कुछ घंटे बाद तक धूम्रपान से परहेज करना चाहिए।ब्लड डोनेट करने वाले शख्स को रक्तदान के 24 से 48 घंटे पहले ड्रिंक नहीं करनी चाहिए।ब्लड डोनेट करने के बाद आप पहले की तरह ही कामकाज कर सकते हैं। इससे शरीर में किसी भी तरह की कमी नहीं होती।।रक्तदाताओं को बूंदी उप जिला प्रमुख सत्येन्द्र मीणा,भाजपा जिला मंत्री मुकेश विजय अग्रवाल समाज के प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण अग्रवाल,स्टूडेंट्स हेल्प सोसायटी के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र अग्रवाल,जेसीआई एलीगेन्स की संस्थापक डा.मेघना शेखावत व समाजसेवी नीलम विजय ने सम्मानित किया।इस अवसर पर नीरज सुमन,मनोज जैन,पूर्व छात्रसंघ महासचिव नितेश मालव लोकेश मीणा ,दिपक मीणा, मयंक उपाध्यक्ष ,घनिस्ट जिंदल, पूर्वी स्वर्णकार सहित दर्जनो कार्यकर्ता मौजूद रहै।

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