इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय और अन्य बार एसोसिएशनों के वकील अब केवल एक ही बार एसोसिएशन में मतदान कर सकेंगे। वकीलों को किसी एक बार में मतदान का विकल्प दस जुलाई तक स्पष्ट करना होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन एवं न्यायमूर्ति पी.सी.त्रिपाठी की खण्डपीठ ने घनश्याम की याचिका पर दिया है। खण्डपीठ ने हाईकोर्ट बार के बाईलाज में संशोधन और चुनाव के नियमों पर जनरल हाउस बुलाकर विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को यह सूचना काजलिस्ट में प्रकाशित कराने को कहा है ताकि एक से अधिक बार एसोसिएशन के सदस्य अपना विकल्प स्पष्ट कर सकें कि वे किस बार में मतदान करेंगे। खण्डपीठ ने एक से अधिक बार एसोसिएशन के सदस्यों के बारे में पड़ताल करने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनायी थी। कमेटी ने सभी बार एसोसिएशनों की सदस्यता की पड़ताल की और वहां के बाइलाज का अध्ययन किया।
कमेटी ने पांच बार बैठक करके हाईकोर्ट बार के बाइलाज में संशोधन और चुनाव के लिए ड्राफ्ट तैयार किया है। कमेटी में अनूप त्रिवेदी संयोजक और वरि.अधिवक्ता रविकांत, वी.पी.श्रीवास्तव, उमेश नारायण और टी.पी.सिंह सदस्य हैं। कमेटी ने पाया कि लगभग 450 वकील ऐसे हैं जो हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व एडवोकेट्स एसोसिएशन दोनों में सदस्य हैं। हाईकोर्ट के 124 साधारण सदस्य और 131 आजीवन सदस्य जिला अधिवक्ता संघ में सदस्य हैं। 150 सदस्य ऐसे भी हैं जो बोर्ड आफ रेवेन्यू और कैट बार के भी मेम्बर है। खण्डपीठ ने इन अधिवक्ताओं से दस जुलाई तक अपना मंतव्य स्पष्ट करने को कहा है साथ ही हाईकोर्ट बार से कहा है कि एक से दस जुलाई के बीच जनरल हाउस बुलाकर कमेटी की ओर से प्रस्तुत बाइलाज में संशोधन और चुनाव के 2016-17 के ड्राफ्ट पर विचार करें।