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नगरा बिल्थरा मार्ग के किनारे स्थित जमुआंव गांव का पोखरा मौत का दे रहा पैगाम

सी .पी .सिंह विसेन
बलिया :–जल ही जीवन है।जल एक ऐसी कुदरत की दी हुयी नियामत है जिसके बिना कोई भी जीव जिंदा नहीं रह सकता है।इस समय पूरी दुनिया में जल का संकट मंड़रा रहा है।इससे  बचने के लिए जल संरक्षण जरूरी है।जल संरक्षण एवं इसके महत्व के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए सरकारी/गैर सरकारी हर संभव जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में कतिपय ऐसे हठधर्मी मौजूद हैं जिनके काले कारनामों से जल संरक्षण की मुहिम को काफी गहरा धक्का लग रहा है।

ऐसे लोग सार्वजनिक तालाब,पोखरों को भी नहीं बख्स रहे हैं।अवैध रुप से कब्जा एवं अतिक्रमण कर लेने से पोखरों का स्वरुप विकृत हो गया है।बिल्थरा रोड तहसील अंतर्गत अनेक ऐसे पोखरे हैं जो अवैध एवं अतिक्रमण से कराह रहे हैं।जिन्हें मुक्त कराने के लिए किसी तरह की कोई ठोस पहल तहसील प्रशासन द्वारा धरातल पर दिखता नजर नहीं आ रहा है।जमुआंव गांव के पोखरे को ही लें जो नगरा बिल्थरा मार्ग के किनारे स्थित अपनी दुर्दशा को बयां कर रहा है।पश्चिमी तट पर  पोखरे का बंधा कटकर मुख्य सड़क को ही अपने आगोश में लेने को आतुर है। पोखरे का दक्षिणी हिस्सा बंधा विहीन होकर घोर अतिक्रमण का शिकार हो चुका है।अवैध रुप से कब्जा कर पोखरे की आराजी में ही पक्की मकान का निर्माण किया जा चुका है तथा सहन कायम कर लिया गया है।बांस बल्ली तथा पेंड़ लगाकर पोखरे को भरा जा रहा है।उक्त पोखरे की आराजी में पूर्वी तट पर भब्य मंदिर है। श्रद्धालु जन पोखरे में स्नान कर पोखरे के जल से मंदिर में नित्य पूजा पाठ करते हैं।पोखरे में उक्त मकानों का दूषित जल गिरने से पूजा पाठ करने वालों की भावनाओं को काफी ठेस पहुंचती है।रखरखाव के अभाव में पोखरे में जलकुम्भी आदि जलीय पौधे पैर पसारने लगें हैं।सर्वाधिक दिलचस्प एवं हैरान करने वाला तथ्य यह है कि पोखरे का पश्चिमी तट कटकर वर्षों पूर्व पोखरे में समाहित हो चुका है।नगरा बिल्थरा मार्ग की पटरी और पोखरे के बीच महज़ कुछ इंच का ही फासला रह गया है।जो हर समय राहगीरों को मौत का खुला पैगाम दे रहा है।हैरत एवं कसीस इस बात का है कि जमुआंव का यह पोखरा क्षेत्रीय विधायक धनंजय कन्नौजिया के पैतृक आवास के ठीक सामने है।बावजूद इसके उनकी नजर-ए-इनायत दुर्दशाग्रस्त पोखरे की ओर क्यों नहीं होती?स्थानीय पंचायत प्रशासन भी खामोश है।लोक निर्माण विभाग सहित जनपद केआलाधिकारियों को  तहसील  मुख्यालय बिल्थरा रोड तक हर समय आना जाना पड़ता है फिर भी डेंजर जोन में  तब्दील उक्त पोखरे के कायाकल्प की ओर नजर नहीं  जाती।आखिर क्यों?क्या इन्हें किसी बड़े हादसे  का  इंतजार है?बहरहाल पोखरे की सूरत-ए-हाल की बदइंतजामी को दूर किए बिना जल संरक्षण की भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षा वाली नीति को अमलीजामा नहीं पहिनाया जा सकता है।

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