के सदस्य देशों का तेल का उत्पादन कम करने का रुझान
सविता उपाध्याय
तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक 2016 के अंतिम दिनों में वियना में एक ऐतिहासिक फ़ैसले में इस बात पर सहमत हुआ कि अगले छह महीने के लिए तेल का उत्पादन कम करेगा ताकि दुनिया में तेल की गिरती क़ीमत रुक जाए। ओपेक के कुछ सदस्य देशों ख़ास तौर पर सऊदी अरब द्वारा ओपेक में निर्धारित कोटे से ज़्यादा निरंतर दो साल तेल का उत्पादन, तेल की क़ीमत में 50 फ़ीसद से ज़्यादा गिरावट का कारण बना कि जिसके नतीजे में तेल की प्रति बैरल अवसत क़ीमत 30 से 40 डॉलर पहुंच गयी। ग़ैर ओपेक के बड़े तेल उत्पादक देश जैसे रूस को भी तेल की गिरती क़ीमत से भारी नुक़सान पहुंचा।
सऊदी अरब ने नवंबर 2014 में ओपेक को इस बात के लिए मजबूर किया कि वह सऊदी अरब की ओर से विश्व मंडी में तेल की बेलगाम आपूर्ति पर कुछ न कहे। सऊदी अरब का ओपेक में निर्धारित कोटे से ज़्यादा तेल के उत्पादन का क़दम राजनैतिक लक्ष्य से प्रेरित था। इस नीति को अपनाने के एक महीने बाद सऊदी अरब के तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री अली नईमी ने कहा था कि जल्द या देर प्रतिस्पर्धियों को वित्तीय मुश्किलों का सामना होगा और सऊदी अरब इस स्थिति से लंबे समय तक निपटने की क्षमता रखता है। लेकिन समय बीतने के साथ सऊदी अरब, जो अपने तेल के उत्पादन के स्तर को कम करने के लिए तय्यार नहीं था, अब इस बात के लिए तय्यार हो गया है कि वह 1 करोड़ 7 लाख बैरल प्रतिदिन के वर्तमान उत्पादन के स्तर को कम करके 1 करोड़ 2 लाख बैरल प्रतिदिन पर ले आएगा।
ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बीजन नामदार ज़ंगने ने शनिवार को बल दिया कि इस्लामी गणतंत्र ईरान भी ओपेक के तेल उत्पादन के स्तर को कम करने के क़दम का स्वागत करता है और अगर दूसरों ने इसका पालन किया तो तेहरान भी इसका पालन करेगा।