समीर मिश्रा बहरैन की राजधानी मनामा के परिवेष्टन का शिकार दुराज़ क्षेत्र में सुरक्षा कर्मियों द्वारा नमाज़े जुमा पर जारी प्रतिबंध के बाद जनता का आक्रोष फूट पड़ा और जनता ने देश के वरिष्ठ धर्म गुरु शैख़ ईसा क़ासिम के समर्थन में व्यापक प्रदर्शन किए।
फ़ार्स न्यूज़ एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार बहरैनी मीडिया ने रिपोर्ट दी है कि मनामा के दुराज़ क्षेत्र के निवासी एक बार फिर शैख़ ईसा क़ासिम के निवास स्थल पर एकत्रित हुए जहां सुरक्षा कर्मियों ने एक बार फिर उन्हें जुमे की नमाज़ अदा करने की अनुमति नहीं दी। जुमे की नमाज़ पर जारी प्रतिबंध के बीच जनता ने सरकार के विरुद्ध ज़ोरदार नारे बाज़ी की और मस्जिदे इमाम सादिक़ में अकेले ही नमाज़ें अदा कीं।
दुराज़ क्षेत्र के निवासियों ने नमाज़ अदा करने के बाद शैख़ ईसा क़ासिम के समर्थन और उनके विरुद्ध चलाए जा रही मुक़द्दमे की कार्यवाही के विरुद्ध प्रदर्शन किए। इसी प्रकार नुवैदरात शहर में भी बहरैनी नागरिकों ने बहरैन के राजनैतिक बंदियों से सहृदयता व्यक्त करते हुए प्रदर्शन किए। ज्ञात रहे कि बहरैन की फौजदारी की अदालत पिछले रविवार को शैख़ ईसा क़ासिम के विरुद्ध मनि लांड्रिंग के आरोप में मुक़द्दमे की सुनवाई करने वाली थी जिसे अदालत ने 21 मई तक के लिए स्थगित कर दिया। बहरैन की अदालत ने जनता के भय से चौथी बार मुक़द्दमे की सुनवाई टाली है।
बहरैन में 2011 से आले ख़लीफ़ा शासन के विरुद्ध व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं। इस शासन ने जून 2016 को बहरैन के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू शेख ईसा क़ासिम की नागरिकता रद्द कर दी थी। जून 2016 से वे अपने घर में नज़रबंद हैं। शेख ईसा क़ासिम के समर्थन में हज़ारों बहरैनवासियों ने उनका घर घेर रखा है।