करिश्मा अग्रवाल
वेनेज़ोएला के राष्ट्रपति शनिवार को तेहरान के अपने दौरे में ईरानी अधिकारियों के साथ भेंटवार्ता करेंगे। निकोलस मादुरो ने शुक्रवार को सऊदी अरब, ईरान, क़तर और आज़रबाइजान गणराज्य का 4 दिवसीय दौरा शुरु किया। वेनेज़ोएला के राष्ट्रपति के इस दौरे का महत्वपूर्ण विषय ईरान के साथ ऊर्जा बाज़ार के हालात की समीक्षा करना है।
मादुरो के इस दौरे से जो वियना में ओपेक के सदस्य देशों की बैठक के आयोजन से लगभग एक महीना पहले हो रहा है, टीकाकारों का ध्यान ऊर्जा के विषय की ओर केन्द्रित हुआ है। विश्व तेल मंडी दो साल से ज़्यादा समय से अस्थिरता का शिकार है। तेल की क़ीमत में तेज़ी से गिरावट ने तेल निर्यात के सबसे बड़े संगठन ओपेक के सदस्य देशों के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। वेनेज़ोएला की सरकार की नज़र आर्थिक मंदी से निकलने के लिए तेल के बाज़ार पर लगी हुयी है। मादुरो के दौरे का लक्ष्य सऊदी अरब, ईरान, क़तर और आज़रबाइजान गणराज्य के अधिकारियों से बातचीत में तेल की क़ीमत को स्थिर करने के लिए ओपेक के सदस्य देशों के बीच हुयी सहमति को मज़बूत करना है।
सितंबर के आख़िर में अलजीरिया में ओपेक के सदस्य देशों की बैठक में इस बात पर सहमति हुयी कि प्रतिदिन 3 करोड़ 25 लाख बैरल से 3 करोड़ 30 लाख बैरल के बीच तेल का उत्पादन किया जाएगा। इस सहमति का तेल की बढ़ती क़ीमत पर अपेक्षाकृत असर पड़ा। 2014 में तेल की क़ीमत में गिरावट के बाद वेनेज़ोएला ने तेल की क़ीमत को स्थिर करने के लिए ओपेक और ओपेक के बाहर के तेल उत्पादक देशों को अपने साथ करने की कोशिश की। वेनेज़ोएला के राष्ट्रपति अपने इस चरणबद्ध दौरे में तेल की क़ीमत को स्थिर करने के लिए फिर से सर्वसम्मति बनाने की कोशिश में हैं।
एक बात स्पष्ट है कि सऊदी अरब का ओपेक में अपने हिस्से से ज़्यादा तेल के उत्पादन का अतार्किक क़दम, तेल की क़ीमत गिरने के मुख्य कारण में है। सऊदी अरब ने ईरान सहित तेल की मंडी में अपने प्रतिस्पर्धियों को हटाने के लिए अपने तेल को निलाम कर दिया और सस्ते मूल्य एवं अपने भाग से ज़्यादा उत्पादन करके तेल की मंडी को प्रभावित किया है। तेल की मंडी में स्थिरता के लिए वार्ता के स्तर पर सहयोग से ज़्यादा फ़ैसले की ज़रूरत है। इस मार्ग में सबसे बड़ी चुनौती सऊदी अरब के अतार्किक व्यवहार में बद्लाव लाना है जो इस संदर्भ में सऊदियों के व्यवहवार के मद्देनज़र बहुत कठिन लगता है।