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बसपा में जुबानी जंग हुई तेज: नसीमुद्दीन सिद्दी ने लगाए मायावती पर अनगिनत आरोप,जानिए क्या है दावे

करिश्मा अग्रवाल
जहाँ एक पहले की ही तरह आप में घमासान जारी है वहीँ दूसरी ओर बसपा में भी जुबानी जंग तेज हो गई है।बसपा की कलह दूसरे रोज भी और खुल कर सामने आई जब पार्टी से निकाले जाने से आहत पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाल आहत नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कथित एक ऑडियो टेप के जरिए तमाम दावे किए है . नंबर दो की हैसियत रखने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे को निकाल दिया था. आज नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती पर पलटवार करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए. सिद्दीकी पार्टी में महासचिव के पद पर थे औऱ उन्हें मध्य प्रदेश का प्रभार भी दिया गया था.

मुझ पर लगाये आरोप बेबुनियाद:
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा, “मेरे ऊपर जो भी कार्रवाई हुई, झूठ और फरेब का सहारा लेकर की गई. मुझ पर अनर्गल आरोप लगाए गए. चुनाव के बाद मायावती जी ने मुझे बेटे के साथ दिल्ली बुलाया और कहा ,जो मैं जानता हूं मुझे सच सच बताया जाए. मुझसे पूछा गया कि मुसलमानों ने बीएसपी को वोट क्यों नहीं दिया? मैंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मुसलमान ने वोट नहीं दिया. मैंने कहा कि जब कांग्रेस-सपा का गठबंधन नहीं हुआ था तब मुसलमान हमारे साथ था. लेकिन गठबंधन के बाद मुसलमान भ्रमित हो गया और बंट गया.”
मायावती ने कहा ‘मुसलमानों गद्दार ‘:
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने दावा करते हुए कहा,
“इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं. इसके बाद उन्होंने कहा कि हमने 1993 में सपा से गठबंधन किया तब, 1996 में कांग्रेस से गठबंधन किया तब भी मुसलमान का वोट नहीं किया. इसके बाद उल्टा सीधा बोलना शुरू कर दिया. उन्होंने अनाप-शनाप बोलते हुए कहा कि मुसलमान गद्दार हैं.”
मायावती ने सभी जातियों को कहा बुरा-भला:
“मैंने कहा कि बहन जी ये  मेरे धर्म का मामला है आप ऐसी भाषा ना बोलें. मैंने कहा कि मैंने आपसो किसी मौलाना को नहीं मिलाया. उन्होंने कहा कि सतीश चंद्र मिश्रा ने मोलानाओं से मिलवाया. इसके बाद उन्होंने कहा कि अपर कास्ट ने भी हमें वोट नहीं दिया. इसके बाद मैंने कहा कि बहन जी हम तो कोशिश कर सकते हैं वोट देना तो वोटर के साथ के हाथ में है. इसके बाद उन्होंने सभी जातियों को टारगेट करते हुए कहा कि किसी ने हमें वोट नहीं दिया.”
काशीराम जी को भी किया अपमानित:
मायावती पर काशीराम के अपमान करने का दोष लगाते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा,
“19 अप्रैल को उन्होंने मान्यवर कांशीराम जी को नीचा दिखाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि 2002 में मान्यवर कांशीराम जी यूपी का सारा पैसा लेकर पंजाब चले गए. उन्होंने कहा कि मैं पंजाब में सरकार बनाऊंगा और मुझसे कहा कि तुम यूपी संभालों. यूपी में मैंने सरकार बनायी लेकिन कांशीराम जी खाता भी नहीं खोल पाए. इसके बाद मैंने बहन जी से कहा कि कार्यकर्ता को यह खराब लगा कि आपने खुद को कांशीराम जी से ऊपर दिखाया.”
हार के लिए मायावती जिम्मेदार:
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बसपा सुप्रीमो पर हार का ठीकरा फोड़ते हुए कहा की, “इसके बाद भी उन्होंने कहा कि बताओ क्या कमी रह गयी मुझे खराब लग रहा है लेकिन तुम बताओ.”
मैंने कहा कि ,”आप घोषणापत्र जारी नहीं करती. आप कार्यकर्ताओं से नहीं मिलतीं. जब सारे नेता रैली कर रहे थे आपने छुट्टी ले ली. आपने रैलियों में प्रत्यशियों के नाम तक नहीं लिए. अगर आप नाम ले लेतीं तब भी जीत सकते थे. आपने पार्टी के लिए वोट तक नहीं मांगा.”
मायावती ने मुझसे की थी पचास करोड़ की माँग:
“बहन जी ने मुझसे पार्टी की जरूरत के नाम पर 50 करोड़ रुपये पार्टी मांगे। मैंने कहा कि,” बहन जी इतना पैसा मैं कहां से लाऊंगा”. बहन जी ने कहा कि अपनी प्रॉपर्टी बेंच दो. मैंने कहा कि अगर मैं अपनी प्रॉपर्टी बेंच भी दूंगा तब भी इसका चौथाई पैसा भा नहीं आएगा. नोटबंदी का दौरा था मैंने कहा कि अगर मैं प्रॉप्रटी बेंचूगा तब भी पैसा कैश में नहीं आएगा. बहन जी ने कहा कि कहीं से भी लाओ, मैंने अपने रिश्तेदारों से दोस्तों से पैसे मांगे.”
दी अपनी बेटी की कुर्बानी:
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बताया “1996 में आप चुनाव लड़ रही थी उस दौरान मेरी बेटी की तबीयत खराब थी. पत्नी ने कहा कि बच्ची की तबीयत खराब है आ जाओ लगता है बचेगी नहीं. मैंने बहन जी को बताया तो वो बोली चुनाव जरूरी है. मैं नहीं गया अगले दिन मेरी बेटी मर गयी. पत्नी ने कहा अब तो आ जाओ. मैंने बहन जी को बताया कि तो वो बोली जो होना था हो गया अगर चले गए तो मैं चुनाव हार जाऊंगी. आज बहन जी मेरी इतनी बड़ी कुर्बानी भूल गयीं.”
सतीश चंद्र मिश्र और समर्थक कर देंगे पार्टी को बर्बाद
“चुनाव के बाद ही मुझे लगने लगा था कि मुझे पार्टी से निकाला जाएगा. मैंने इसीलिए पार्टी छोड़ी नहीं चाहे मुझे निकाल दिया जाए. पार्टी बर्बाद करने के पीछे सतीश चंद्र मिश्रा एंड पार्टी है. ये लोग पार्टी बर्बाद करना चाहते हैं क्योंकि कोई दलित मंत्री पद ना पहुंच पाए.
कार्यकर्ताओं की उपेक्षा:
मायावती कार्यकर्ताओ से मिलना भी पसंद नही करती,चुनाव के दौरान 55 जनसभाएं लगाई उसमे भी कई जनसभा नही किया।।
भ्रष्ट:
मायावती किसी से बिना पैसे लिए नही मिलती,यह मिलने जाओ तो घड़ी पेन तक तक बाहर रखवा लेती थी।।
मायावती के लिए लिए केस अपने नाम:
मंडी परिषद का केस उनके कहने पर अपने सिर लिया। जितने मामले थे वो अपने सिर लिये उनके कहने पर। मुझे पता चल गया था कि मुझे निकाल दिया जायेगा लेकिन जिस पार्टी के लिये मैंने अपनी बेटी कुर्बान की और जीवन के 35 साल दिये उसे कैसे छोड़ दूँ।।
सतीश मिश्र के लिए मेरी उपेक्षा की जा रही है:
सतीश मिश्र 2003 से हैं और मैं उनसे 20 साल पहले से हूँ,मुझ पर फर्जी आरोप लगाये। मेरे ऊपर पार्टी के नाम पर पैसे की वसूली का आरोप लगाया।
मायावती  के भाई आनंद के आने के बाद मेरे साथ बुरा बर्ताव किया गया,सतीश चंद्र मिश्रा भी बुरा बर्ताव किया,बीएसपी को खत्म किया गया
बाबा भीमराव अंबेडकर जी के आदर्श को खत्म किया जा रहा है:
सीबीआई जाँच में मेरे खिलाफ़ कुछ नहीँ मिला जबकि माया के खिलाफ़ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला आज़ भी चल रहा है और मुझ पर अवैध सम्पत्ति का आरोप लगाया। मैं मायावती,सतीश और आनँद की पोल खोल दूँगा तो भूचाल आ जायेगा
मायावती के पास अपराधियों का गिरोह:
मायावती के पास कई गिरोह है,अपराधियों और बवालियौ का गिरोह है,मैं सबको जानता हूँ। मैं जो बोल रहा हूँ इसके लिये मुझे या मेरे करीबियों को कभी भी मरवाया जा सकता है,मेरे या मेरे किसी भी साथी का घर जलाया जा सकता है,दलित समाज से अपील।।
करूँगा कई बड़े खुलासे:
मायावती को सतीश के चंगुल से बचाये,सतीश मिश्र एंड कम्पनी से बसपा को सर्व समाज बचाये। आज मैं इतिहास में जाकर पीछे की घटनाओं की जानकारी दूंगा। जो कार्यवाई तथ्यों को छुपाकर की गयी है उसका खुलासा करूँगा।।
मुस्लिम समुदाय का किया अपमान:
मायावती ने कहा की दाढ़ी वाले कुत्ते आते थे। जब मैंने ऐसा बोलने से मना किया तो उन्होंने कहा कि कार्यवाई करूंगी तुम पर।मायावती ने कहा की अपर कास्ट ने भी वोट नहीं दिया और सबको भला बुरा कहना शुरू कर दिया।भरे मीटिंग में मायावती ने कहा कि मुसलमान सपा,कांग्रेस को वोट देगा लेकिन बसपा को नहीं देगा। ये मुझ पर सीधा हमला किया था बिना नाम लिए।
खुद को काशीराम से बड़ा बताने की कोशिश:
मायावती जी ने 2002 के पंजाब और यूपी विधानसभा चुनाव में कांशीराम को बेइज्जत किया  और खुद को कांशीराम से ऊपर साबित करने की कोशिश की।।
भेदभाव क्यों..:
सतीश और उनके दामाद को छोड़कर बाकी सभी की तलाशी होती है उनसे मिलने वालों की। मैंने इसका विरोध किया तो वो नाराज़ हो गईं।।
मुझपर बनाया दवाब..:
मुझसे पैसे मांगे गए साथ ही ये बोला की सदस्ता से भी पैसा लायो और हारे हुए कैंडिडेट से भी लायो।।
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