बुधवार तड़के सऊदी वायु सेना के युद्धक विमानों ने यमन के सअदा प्रांत के सह्हार शहर में आले उक़ाब इलाक़े में एक मदरसे को बमबारी से तबाह कर दिया। इस बमबारी में स्कूल के आस-पास की इमारतों भी भारी नुक़सान पहुंचा। यमन में बच्चों और औरतों का जनसंहार, इस देश के ढांचों को बर्बाद करना, यमन में खाद्य संकट का गहराना, इस देश में सऊदी अरब की अगुवाई वाले गठजोड़ के अपराधों का एक हिस्सा है।
सऊदी गठजोड़ ने विश्व समुदाय और संयुक्त राष्ट्र संघ की ख़ामोशी की आड़ में यमनी जनता के जनसंहार में क्लस्टर बम जैसे प्रतिबंधित हथियार इस्तेमाल किया है। यमन जंग में प्रतिबंधित हथियार का इस्तेमाल, इस प्रकार के हथियारों पर रोक लगाने में संयुक्त राष्ट्र संघ की अक्षमता के चरम को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यमन में सऊदी अरब की अगुवाई वाले गठजोड़ को बच्चों के जनसंहार की कालि सूचि में शामिल किया था किन्तु जब सऊदी अरब ने विरोध किया तो इस गठजोड़ के नाम को अस्थायी तौर पर कालि सूचि से निकाल दिया।
यमन के हालात दर्शाते हैं कि सऊदी अरब यमन के अंसारुल्लाह जनांदोलन को कमज़ोर करने और इस देश के इस्तीफ़ा देकर फ़रार करने वाले पूर्व राष्ट्रपति अब्द रब्बोह मंसूर हादी को सत्ता में वापस लाने जैसे लक्ष्य हासिल नहीं कर सका। इसी प्रकार सऊदी अरब जंग के मैदान में हारने के साथ साथ विश्व जनमत के सामने भी अपराधी बन चुका है।
यमन के हालात से पता चलता है कि आले सऊद शासन ख़ुद से बनाए हुए दलदल में फंस गया है। आज यमन जंग में सऊदी अरब को पराजित माना जा रहा है क्योंकि न सिर्फ़ यह कि यमन जंग में सऊदी अरब अपने लक्ष्य नहीं साध पाया बल्कि मानवाधिकार संगठन उसकी आलोचना कर रहे हैं और जनमत तो उससे घृणा करता ही है।