Categories: Crime

योगी का फरमान फेल, खनन माफिया से मिलकर पुलिस भर रही है जेब

रसूले आजम की रिपोर्ट
महराजगंज-बरगदवा: जनसमस्याये कई तरह की होती है जिनका निराकरण करना शासन व प्रशासन का कर्तव्य भी होता है और जिम्मेदारी भी। लेकिन अक्सर शासन प्रशासन के फरमान व क्रियाकलाप ही जनसमस्या बन जाते है। पर्यावरण के बदलते मिजाज़ के मद्देनजर सूबे की सरकार ने कड़ा रूख दिखाते हुये मिट्टी खनन को प्रतिबंधित कर दिया है,और निगरानी की जिम्मेदारी आ पड़ी है पुलिस महकमे के सर। पर अपनी जिम्मेदारियों से पैसा बनाने का अर्थशास्त्र तो कोई इस महकमे से सीखे। सरकार के खजाने मे भले ढेला बढ़े ना बढ़े महकमे के कर्मचारियों व अधिकारियों की व्यक्तिगत तिजोरियों मे लक्ष्मी जी नृत्य कर रही है। खनन माफियों के साथ पुलिस के सम्बन्ध इस समय काफी प्रगाढ़ दिख रहे है।

कैसे चल रहा है खनन माफियों और पुलिस की मिलीभगत से खेल
मौसम और समय ऐसा चल रहा है कि अधिक्तर लोगों को ज्यादा मिट्टी कि आवश्यकता है। किसी को नये बन रहे मकान कि नीव भरनी है किसी को नई फसल लगाने से पहले खेत बराबर करने के लिए मिट्टी की जरूरत है। और ऐसे समय मे मिट्टी मिलने का एक ही तरीका है वो यह कि  विभाग से NOC हासिल करो और मिट्टी लो। इल प्रक्रिया मे 2-3 महिने का समय और 30-35 हजार रूपये का खर्च तय है। अब एक छोटे किसान को जिसे मात्र एक ट्राली मिट्टी चाहिए वो इस सरकारी जटिल प्रक्रिया में उलझना नही चाहता। और यही से चांदी हो रही है खनन माफियों व पुलिस विभाग की।
एक तरफ पुलिस आम किसान को एक ट्राली जरूरत की मिट्टी भी उसी के खेत से नहीं निकालने दे रही, माफिया से सुचना मिलते ही तत्काल दल बल के साथ मौके पर पहुँच जा रही है। किसान की मजबूरी सुन नियम व कानून का पाठ पढा रही है। वही दूसरी तरफ इन्हीं माफिया से प्रति ट्राली कमीशन तय कर मशीनें का उपयोग कर दर्जनों ट्रालियो से दिन व अधिकांशतः रात मे सैकड़ों ट्राली मिट्टी निकाली जा रही है
लोकल बरगदवा थाना क्षेत्र मे यह धन्धा सबसे तेज है। लोकल थाने के एक चर्चित सिपाही इन खनन माफियो के ‘गॉडफादर‘ बने हुए है। प्रतिदिन व प्रतिरात हजारों रूपये व्यक्तिगत तिजोरियों मे भरी जा रही है, पर्यावरण गया तेल लेने। उधर माफिया जो पैसा पुलिस को दे रहे है वो आम लोगो से वसूल रहे है। मजबूरी में लोग मिट्टी के लिए इन्हीं माफियों का दरवाजा खटखटाते हैं। जिन लोगो ने माफिया के बजाए खुद अपने खेत से मिट्टी निकालने की कोशिश की, उन पर कानून का ऐसा डंडा चला कि ट्रैक्टर-ट्राली, फावड़ा-कुदाल सब का सब थाने की शोभा बढ़ाने पहुँच गया। आखिरकार हिम्मत वालो को भी माफिया के दरबार में मिट्टी के लिए हाजिरी लगानी पड़ती है। कितने किसानों की खेत मे खाली खड़ी ट्रैक्टर-ट्राली चालान हो गयी कितनो ने हजारों रूपये भेंट चढ़ाये अपनी जरूरत की मिट्टी हासिल करने के लिए इसका हिसाब रखना मुश्किल है।
सवाल यह है कि:
आम लोगो के लिए चुस्त दुरूस्त नियम कानून का पालन करने वाली पुलिस तब क्यों अन्धी हो जाती है जब इनके सामने से ही दर्जनों ट्रैक्टर-ट्राली धूल उड़ाती निकलती है।
रात भर भारी मशीनों से धरती का सीना चीरा जाता है तो नजरे फेर लेते हैं और किसान का एक फावड़ा दूर से ही दिख जाता है। पर्यावरण के इन रखवालो को सरकार के बनाए नियम-कानून से कोई सरोकार नही, इन्हे तो अपने तिजोरियों के वजन की चिंता रहती है। इनके लिए तो ऐसे नियम कानून एक बहती गंगा की तरह है जिसमें माफिया व प्रशासन दोनों डुबकिया लगा रहा है, और आम जनता दूर प्यासी तड़प रही है।
pnn24.in

Recent Posts

जुआ खेलने से मना करने पर पुलिस कर्मियों की युवको ने किया बर्बर पिटाई, वीडियो हुआ वायरल

तारिक खान डेस्क: बरेली में दीपावली की रात प्रेमनगर क्षेत्र के बांके की छावनी में…

10 hours ago

राजनीति में नई आस के साथ अपनी ‘आसा’ पार्टी से आरसीपी सिंह शुरुआत करेंगे

अनिल कुमार डेस्क: आखिरकार पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने आज गुरुवार के दिन अपनी…

12 hours ago

ट्रेन के आगे कूद कर किया अधेड ने आत्महत्या

उमेश गुप्ता बिल्थरारोड (बलिया): उभांव थाना क्षेत्र के ग्राम कुशहा भाड़ के समीप करीब 4:30…

12 hours ago