वीनस दीक्षित.
वाराणसी. रोज़ा हर मोमिन अल्लाह की रज़ा के लिए रखता है. फिर
रोज़े गर्मियों की शिद्दत में हो या फिर ठण्ड की कड़क हो. रोज़ा अल्लाह के रज़ा के लिए
रखने वाले मोमिनो को मौसम से लड़ने में मदद करता है. इसकी आज एक बानगी वाराणसी में
देखने को मिली जहा अपने बड़ो को रोज़ा रखता देख दो मासूम ज़ैद सुहरवर्दी (११ वर्ष) और
शाद सुहरवर्दी (10 वर्ष) ने आज अपने जीवन का पहला रोज़ा रखा.
साडी व्यवसाई और समाज सेवक सय्यद वजीह-उल-हक़ और फरहाना हक़
के दोनों बेटो ने अपने वालदैन को बचपन से ही रोज़े रखते देखा है. इस शिद्दत की
गर्मी में बच्चो को भी शौक हुआ रोज़े रखने का. बच्चो ने माँ बाप से जिद्द शुरू कर
दिया. गर्मी के शिद्दत के वजह से माँ बाप अपने बच्चो को रोज़ ही तसल्ली देते रहे
मगर आज आखिर उनको बच्चो के जिद्द के आगे झुकना पड़ा जब कल तरावीह के नमाज़ के बाद
बच्चे सहरी करने के ललक में रात को अपने घडी में अलार्म लगा कर सोये और वक्त-ए-सहर
पर उठ कर सहर किया और रोज़े के नियत कर नमाज़ पढ़ी. बच्चो के इस अल्लाह के रज़ा के लिए
रोज़ा रखने के जिद्द के आगे फिर वालदैन ने भी उनका साथ दिया. दोपहर हो गई बच्चे रोज़मर्रा
की तरह अपनी दिनचर्या चला रहे थे, सारा दिन अल्लाह की इबादत नमाज़ और
तिलावत-ए-कुरआन के बीच असर का वक्त हो गया.
बच्चो के पहले रोज़े पर वालदैन भी ख़ुशी से नहीं समां रहे थे अफ्तार के वक्त आस पडोस
और कुनबे के मानिंद लोगो को दवाते रोज़ा आफ्तार पर बुला रखा था, मगरिब की अज़ान होती
है सभी बच्चो के साथ अफ्तार करते है. बच्चो को सभी ने दुआ दिया और तोहफे दिए.
बच्चो के चेहरे पर रोज़े की रौनक नज़र आ रही थी. इस मौके पर दोनों रोज़ेदार बच्चो के
अन्य ममेरे भाई बहनों ने अपने बड़े भाइयो को रोज़े कुशाई की बधाई दी. बधाई देने वाले
में बड़ो के साथ सय्यद हाशिर सुहैल, जोया सुहैल, और हया आयत आज़मी के साथ रोज़ेदार
बच्चो के मामा सय्यद सुहैल अख्तर, सैयद आरिफ चाचा नयारुल्हक आदि लोग मौजूद थे,