समीर मिश्रा.
भारत
के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जुमे की नमाज़ के
बाद इमामे जुमा मौलाना कल्बे जवाद के नेतृत्व में हिन्दु और मुसलमानों ने
मिलकर आले सऊद के विरुद्ध विशाल विरोध प्रदर्शन किया। यह
प्रदर्शन आले सऊद द्वारा पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा
ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा और चार इमामों के रौज़ों को ध्वस्त कर दिए जाने के
विरोध में किया गया।
शुक्रवार
को लखनऊ से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब में स्थित मुसमलानों के
अति पवित्र क़ब्रिस्तान जन्नतुल बक़ी को शहीद किए जाने के ख़िलाफ और पवित्र
कब्रों के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर लखनऊ की ऐतिहासिक आसफ़ी मस्जिद
में जुमे की नमाज़ के बाद विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन में शामिल
लोगों ने सऊदी सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारे लगाए, प्रदर्शनकारी मांग कर रहे
थे कि जन्नतुल बक़ी में मौजूद पैग़म्बरे इस्लाम (स) की सुपुत्री हज़रत
फ़ातिमा ज़हरा (स),पैग़म्बरे इस्लाम की पत्नियों, उनके 4 परपौत्र और उनके
साथियों की क़ब्रों का पुनर्निर्माण कराया जाए।
उत्तर
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जुमे की नमाज़ के बाद हुए विरोध प्रदर्शन में
भाग लेने वाले प्रसिद्ध हिंदू धर्मगुरू श्री स्वामी सारंग ने
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सऊदी सरकार का हज़रत मुहम्मद
साहब की बेटी की क़ब्र को ध्वस्त करना हज़रत फ़ातिमा की दूसरी शहादत के
समान है। उन्होंने कहा कि यदि आले सऊद को डर न होता तो वे हज़रत मोहम्मद
साहब की क़ब्र भी ध्वस्त कर देते। सवामी सारंग ने सऊदी सरकार की निंदा करते
हुए कहा कि बड़े खेद की बात है कि आले सऊद शासन, मुसलमान होकर भी इस्राईल
और अमेरिका के सामने झुकता है और उसकी पूजा करता है। उन्होंने कहा कि मैं
हिंदू होकर भी पैग़म्बरे इस्लाम (स) की सुपुत्री हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स)
की क़ब्र के पुनर्निर्माण की मांग करता हूं।
प्रदर्शन
का नेतृतव कर रहे भारत में शिया मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरू और इमामे
जुमा लखनऊ ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सऊदी सरकार एक
पाखंडी सरकार है, उसके राष्ट्रीय ध्वज पर “ला इलाहा इल्लल्लाह
मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह” लिखा है ,जिसका मतलब होता है कि हम अल्लाह के अलावा
किसी की इबादत नहीं करते हैं लेकिन सऊदी सरकार इस्राईल और अमेरिका की पूजा
करके इस शब्द के अर्थ को ही बदल रही है और अपने दोगलेपन का सबूत दे रही है।
मजलिसे
ओलमाए हिन्द के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद ने भारत सरकार को सचेत किया कि
इस्राईल और सऊदी अरब से अच्छे संबंध स्वयं को धोखा देने जैसे हैं। उन्होंने
कहा कि क्योंकि ज़ायोनी शासन और आले सऊद, वैश्विक आतंकवाद के जन्मदाता
हैं। अगर इन दोनों शासनों के साथ संबंधों को बढ़ावा दिया जाएगा तो डर है कि
हमारा देश भारत भी आतंकवाद का शिकार न हो जाए।
उल्लेखनीय
है कि पवित्र नगर मदीने में स्थित जन्नतुल बक़ी क़ब्रिस्तान में पैग़म्बरे
इस्लाम (स) के परिजनों की कब्रों के साथ पैग़म्बरे इस्लाम की पत्नियों, और
साथियों की कब्रें मौजूद हैं। कड़े विरोध के बावजूद सउदी सरकार ने आज से
91 साल पहले इन्हें ध्वस्त कर दिया था। जन्नतुल बक़ी क़ब्रिस्तान में कई
पैग़म्बरों की कब्रें भी मौजूद हैं, लेकिन तथाकथित सऊदी अरब का आले सऊद
शासन पवित्र इस्लामी सथलों को नष्ट करके खुशियां मनाता है। आज भी सभी
क़ब्रें पूरी तरह से ध्वस्त हैं। याद रहे कि पूरे विश्व के मुसलमानों के
निकट जन्नतुल बक़ी को विशेष स्थान प्राप्त है और वे इसके प्रति ख़ास
श्रद्धा रखते हैं। प्रर्दशनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र और भरत सरकार से
मांग की है कि जन्नतुल बक़ी क़ब्रिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए सऊदी सरकार
पर दबाव बनाए ताकि मुसलमानों के पवित्र क़ब्रिस्तान का पुनर्निर्माण किया
जा सके।
: ज्ञात रहे कि 8 शव्वाल सन 1344 हिजरी क़मरी
को आले सऊद के आदेश पर दरबारी व भेदभाव रखने वाले वहाबी मुफ़्तियों के
फ़त्वों के बाद पवित्र नगर मदीने में स्थित जन्नतुल बक़ी नामक क़ब्रिस्तान
में पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा और
चार इमामों के रौज़ों को ध्वस्त कर दिया गया था।
आले
सऊद ने जब मक्के और मदीने पर पूरी तरह क़ब्ज़ा कर लिया तो उन्होंने
पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के पवित्र रौज़ों को ध्वस्त करने की योजना
बनाई। इसके लिए उसने काज़ी सुलैमान को पवित्र नगर मदीना रवाना किया ताकि वह
वहाँ के मुफ़्तियों से अपनी मर्ज़ी के फ़तवे हासिल करे और जन्नतुल बक़ी को
ध्वस्त करने की भूमिका प्रशस्त करे। दरबारी कठमुल्लाओं ने जन्नतुल बक़ी को
ध्वस्त करने का फ़तवा जारी कर दिया था।