समीर मिश्रा.
क़तर और सऊदी के बीच की दूरिया बढ़ती ही जा रही है. इसी बीच सऊदी अरब ने क़तर नागरिको को हज यात्रा पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, सऊदी अधिकारियों ने क़तर के मुसलमानों पर पवित्र नगर मक्का में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है और वे उन्हें मक्का में ज़ियारत की अनुमति नहीं दे रहे हैं। क़तर के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रमुख अली बिन समीख़ अलमरी ने सऊदी अरब के इस क़दम को मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का खुला उल्लंघन बताया है।
ग़ौरतलब है कि हाल ही में फ़ार्स खाड़ी देशों के बीच राजनीतिक संकट उभरने के बाद, सऊदी अरब, इमारात, बहरैन और कुछ सऊदी अरब के घटक देशों ने क़तर से कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए थे और क़तर के लिए अपनी सीमाओं के बंद करने के अलावा उसके ख़िलाफ़ विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए हैं।
ज्ञातव्य हो कि सऊदी अरब में मुसलमानों के दो सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना स्थित हैं, जहां हर मुसलमान को ज़ियारत और हज के लिए जाने का अधिकार है, लेकिन आले सऊद शासन इसका राजनीतिक दुरुपयोग करता रहता है और मुसलमानों को उनके इस अधिकार से वंचित करता रहा है। 2015 में हज के दौरान भगदड़ में सैकड़ों हाजियों के शहीद होने के बाद भी सऊदी अधिकारियों ने कुछ ऐसा ही रवैया ईरानी हाजियों के ख़िलाफ़ अपनाया था, जिसके बाद 2016 में ईरानी मुसलमान हज पर नहीं जा सके। क़तर के ख़िलाफ़ उसके पड़ोसी अरब देश इतने कठोर क़दम उठा रहे हैं कि संयुक्त अरब इमारात और बहरैन ने एलान किया है कि अगर उनका कोई नागरिक क़तर से किसी तरह की हमदर्दी दिखाएगा तो उसे 15 वर्ष की क़ैद के अलावा भारी जुर्माना भी देना पड़ेगा।