फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी //वर्षा ऋतू की पहली बारिश से जहाँ जिले के कई क्षेत्रों को जलभराव से टापू बनने में समय नही लगा और लोगों को जलभराव की विकट समस्या से जुझना पड़ा वहीं दूसरी ओर जिले के तराई इलाकों में बाढ़ का खतरा मडराना शुरू हो गया है और अभी तक शासन द्वारा बाढ़ से निपटने की कोई चर्चा दिखाई नहीं दे रही है। परंतु इस ओर हर वर्ष की भाँति आमजन में उदासी झलकती दिखाई देने लगी है।
आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी जिले के तराई इलाकों में हर वर्ष लोगों को भीषण बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ता है और हर वर्ष बाढ़ में लोगों की दयनीय स्थिति देखकर शासन द्वारा बाढ़ से निपटने की नयी नयी योजनाये गठित होनी शुरू हो जाती है जिन्हें कागजों का रूप देना शुरू भी हो जाता है परंतु बाढ की समस्या खत्म होने के बाद उन कागजी कार्यवाही पर अमल करना सभी भूल जाते है और हाँ एक फायदा हमारे जिले के जनप्रतिनिधि, राजनीतिज्ञ और सरकारी कर्मचारियों को जरूर फायदा पहुँचाता है जनप्रतिनिधि और राजनीतिज्ञ बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री और अन्य सामान बाँट कर उनके मसीहा और अपने वोट बटोरने के चक्कर में डट जाते हैं और हमारे सरकारी कर्मचारी सरकार द्वारा भेजी गयी राहत सामग्री में अपना हिस्सा लेने में ।। जो कि एक शर्म नाक बात है उल्लेखनीय है कि तराई इलाकों में सबसे पहले हमारी शारदा नदी आती है जिसमें कुछ मात्रा में पानी आने से ही उसमें जमा सिल्ट की वजह से वह अपना विकराल रूप धारण कर लेती है और आस पास के गाँवों और क्षेत्र में विनाश की लीला शुरू कर देती है जिसके कारण लोगों अपने घरों को छोड़कर मजबूरी वश ऊँची जगहों पर यह फिर सड़कों पर रहते हैं और इस बार की पहली बारिश होते ही शारदा का जलस्तर खतरे के निशान से 153 •620 से नीचे 153•040 पर स्थिर हो गया है जो कब अपनी विनाश लीला शूरू कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता । दूसरी ओर हमारे जिले के दुधवा राष्ट्रीय उद्यान की नकऊआ नदी है जो जल्द ही अपनी विनाश लीला शुरू कर देती है जिससे हमारे वन का भी बहुत ही नुकसान होता है और देखा जाये तो इस तरह से जिले में अनेक नदी है जिसमें सिल्ट की साफ सफाई न होने से उफान पर हो जाती है जिन्हें साफ करने के लिए शासन द्वारा काफी मात्रा में पैसा दिया जाता है परंतु वह कभी नदियों की साफ सफाई में नहीं लगाया जाता ।फिलहाल जो भी रहा हो हमारे जिले में पहली बारिश ने लोगों के दिलों की धड़कने बढ़ा दी है और एक बार फिर आमजन बाढ़ से निपटने की तैयारी में जुट गये हैं परंतु शासन इस बात से पूरी तरह अनजान बना हुआ है ।