वाराणसी : ईशा योग संस्थान की ओर से गंगा के घाटों के ठीक सामने उस पार एक 112 फीट की विशाल शिव प्रतिमा बनवानें का प्रस्ताव आया था, उसनें गंगा उस पार जमीन तलाशनें की बात कही जा रही थी। इस विषय पर महापौर रामगोपाल मोहले से वार्ता हुई थी। तीन माह पहले संस्था के पदाधिकारी नगर निगम पहुंचे थे।
इस संबंध में महापौर ने दो बातें की थीं, पहली-यहां सुबह-ए-बनारस की अलग महत्ता है। गंगा उसपार पूरब दिशा से सूर्य निकलते हैं। ऐसे में बहुत ऊंची प्रतिमा बनाने से सुबह-ए-बनारस की छटा पर कोई प्रभाव न पड़े, यह सुनिश्चित करना होगा। दूसरे- काशी की जो धार्मिक परंपरा है उस हिसाब से गंगा-अस्सी व वरुणा के बीच ही धार्मिक महत्ता बताई जाती है। काशी की धार्मिक परंपरा के आधार पर गंगा उस पार प्रतिमा स्थापित करना कितना उचित होगा, इसको लेकर भी धर्माचार्यो से मंथन करने की जरूरत होगी। महापौर से ईशा योग संस्थान के संस्थापक जग्गी वासुदेव व सद्गुरु की मंशा जाहिर करने के साथ ही उनके सुझावों को लेकर संस्थान के पदाधिकारी लौट गए।
प्रतिमा स्थापित करने के लिए ईशा योग संस्थान को 20 एकड़ जमीन की जरूरत है। संस्थान की मंशा है कि नगर के 84 घाटों के पास किसी एक स्थान पर जमीन उपलब्ध हो जाए लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए किसी भी दशा में कहीं भी जमीन उपलब्ध होना संभव नहीं लग रहा है। चूंकि प्रतिमा स्थापना की महत्ता तभी अधिक होगी जब वह गंगा किनारे हो। ऐसे में नगर के समीप इतनी जमीन मिलना गंगा उसपार ही संभव होगा।
महापौर ने प्रमुख सचिव से की चर्चा
महापौर रामगोपाल मोहले ने गुरुवार को शिव प्रतिमा स्थापित करने के लिए प्रमुख सचिव पर्यटन अवनीश अवस्थी से भी मोबाइल फोन पर वार्ता की। इस दौरान पूर्व में हुई चर्चा का हवाला देते हुए सुझावों के बिंदुओं पर भी मंथन करने की सलाह दी। वहीं नगर आयुक्त डा. श्रीहरि प्रताप शाही ने बताया कि प्रतिमा के लिए नगर निगम की ओर जमीन की तलाश नहीं हो रही है। इस प्रकार का निर्देश शासन या प्रशासन की ओर से नहीं है।