गोपाल जी
पटना: लखीसराय में 18 जून को दरिंदगी की शिकार हुई निर्भया पिछले 4 दिन से PMCH में भर्ती है. असहाय दर्द से अब भी कराह रही है. जानकारी दे दें कि निर्भया ने भी इस साल मैट्रिक की परीक्षा दी थी. सभी छात्र-छात्राओं की तरह वह भी नतीजे का इंतजार कर रही थी. आज नतीजा आया लेकिन निर्भया के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे. न इंतजार न उत्सुकता. आँखों में आंसू और जुबान पर एक ही बोल- मेरे गुनहगारों को सजा दो, मुझे इंसाफ दिलाओ. जब हमने पीडिता के परिजनों से रिजल्ट जानना चाहा तो परिजनों के आँखों में आंसू आ गए उन्होंने रोते हुए कहा हमें रिजल्ट की जरूरत नही. मेरी बच्ची ठीक हो जाये बस.
हालांकि निर्भया की किस्मत ने यहाँ भी उसका साथ नही दिया. उसे बोर्ड में सिर्फ 183 प्राप्त हुए है. एक समाजसेवी महिला को लगातार कई दिनों से अपने पास देख कर निर्भया बुझी आँखों से सिर्फ इतना बोल पायी की दीदी रिजल्ट कुछ भी हो. हमको सिर्फ इंसाफ दिला दीजिये. हम सब कुछ बोलने के लिए तैयार है. जहां जाना होगा जाएंगे. लेकिन उसको फाँसी दिलवा दीजिये. इतना बोल कर फिर वो जार-जार रोने लगी.
बता दें कि लखीसराय में दरिंदों ने उसके साथ बेरहमी की थी. हवस का शिकार बना चलती ट्रेन से फेंक दिया था. उसे आनन-फानन में PMCH भेजा गया था. अस्पताल परिसर में दर-दर की ठोकर खा रहे उसके परिजनों को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सहारा मिला था. फिर उसे इमरजेंसी वार्ड में बीएड नंबर 8 पर शिफ्ट किया गया था. जहां उसका इलाज अब भी चल रहा है. वो असहाय दर्द में है. दर्द मानसिक है, शारीरिक है. चेहरा शून्य में ताक रहा है. आंसुओं से भरी आंखो में इंतजार है तो बस इंसाफ का.