शबाब ख़ान
मुंबई: बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 कें रमज़ान माह में मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट पर सुनवाई करने वाली विशेष टाडा अदालत ने शुक्रवार को डॉन अबु सलेम समेत पांच आरोपियों को दोषी करार दिया है। टाडा अदालत के इस आपेक्षित फैसले के बाद जहां पूरा देश में खुशी की लहर है वहीं एक ऐसा भी कस्बा है जहां लोग इस फैसले से बेहद निराश है। वह है अबु सलेम का पैतृिक कस्बा, आजमगढ़ जिले का सरायमीर।
टाडा कोर्ट ने डॉन अबु सलेम को मुंबई में हुये मौत के खेल और उसनें गयी सैकड़ों लोगों की जान, कई सौ करोड़ की प्रापर्टी को हुये नुकसान का दोषी करार दिया है, जिसमें मुंबई की सीमा में हथियारों का जखीरा और विस्फोटक लाना शामिल है। सरकारी वकील डीएन साल्वी ने बताया कि विस्फोट का सारा सामान अबु सलेम की देख-रेख में गुजरात के रास्ते लाया गया था। इन सभी के निशाने पर देश के बडे़ नेता, पुलिस कर्मी इत्यादि लोग थे।
अदालत के इस फैसले के बाद जहां पूरे देश का माहौल खुशी का है वहीं अबू सलेम के गृह जनपद आजमगढ़ के सरायमीर कस्बे में सन्नाटा पसरा है। वहीं डॉन के घर के बाहर कुछ लोग इस फैसले पर चर्चा कर रहे थे। उनके चेहरे से साफ समझ में आया कि सरायमीर के बाशिंदों को डर है कि कही अबु सलेम को भी अय्यूब मेमन की तरह मौत की सज़ा न मिल जाए, जिसकी पूरी उम्मीद की जा रही है। हालांकि सलेम के भतीजे मुहम्मद आरिफ ने कोर्ट के इस फैसले पर निराशा जताई।
उन्होंने कहा कि इसी मामले में अभिनेता संजय दत्त को राहत मिली है। हमें भी पूरी उम्मीद है, संजय दत्त की तरह ही अबू सलेम को भी कम सजा मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगर टाडा कोर्ट में उनके मुताबिक फैसला नहीं आया तो वे उच्च अदालतों में अपील करेंगे।
मुहम्मद आरिफ ने बताया कि मस्जिद में सलेम को बचाने के लिए अल्लाह से दुआ की गई है। साथ ही नमाज भी पढ़ी जा रही है। वहीं अबू सलेम के एक पडोसी ने अदालत के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि संजय दत्त को हथियार रखने के मामले में बरी कर दिया गया वहीं सलेम दोषी करार दिया गया है, आखिर यह कैसा इंसाफ है।