(जावेद अंसारी)
मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही हैं, गुजरात में पटेल आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल कौ नीमच में हिरासत में ले लिया. और फिर रिहा कर दिया. वह पीड़ित परिवारों से मंदसौर मिलने जा रहे थे, सूत्र बताते हैं कि कांग्रेसी बुधवार से वहां 72 घंटे की सत्याग्रह पर बैठेंगे, इस बीच खबर यह भी आ रही है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बुधवार को मंदसौर जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सकते हैं। आपको बता दें कि इससे पहले राहुल गांधी ने भी मंदसौर में पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों के परिवार मिलने पहुँचे लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, इतना ही नहीं पुलिस ने राहुल गांधी के साथ कमलनाथ, शरद यादव, सचिन पायलट और दिग्विजय सिंह को हिरासत में लेकर विक्रम सीमेंट फैक्ट्री के रेस्ट हाऊस ले जाया गया
नयागांव पुलिस ने राहुल गांधी को हिरासत में लिया। राहुल गांधी जिस खेत में मौजूद थे, वहां मधुमक्खी का छत्ता टूटा, पूरे इलाके में अफरातफरी मची।गिरफ्तारी के बाद नीमच के गेस्ट हाउस ले जाए गए राहुल गांधी ने 5 किसानों की मौत के लिए प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज को जिम्मेदार बताते हुए उन्होंने कहा, ‘मोदीजी किसानों का कर्ज नहीं माफ कर सकते,सही रेट और बोनस नहीं दे सकते, मुआवजा नहीं दे सकते- सिर्फ किसान को गोली दे सकते हैं। मोदी ने सिर्फ अमीरों का टैक्स माफ किया है।’ उन्होंने कहा कि वह उनसे मिलने आए हैं और उनकी आवाज को उठाने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता।
राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि यहां मै पिड़ित से मिलने आया हूं मैं देश में कहीं भी जा सकता हूं मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, और अन्य कई जगह पर किसान परेशान हैं, भाजपा सरकार के पास लाखों-करोड़ों रूपया पड़ा है लेकिन वह उसे किसानों को न देकर सिर्फ 50 लोगों को देना चाहती है, दरअसल राहुल गांधी जब वहां पहुंचे तो अच्छा खासा हुजूम इकट्ठा हो गया था, पुलिस ने उन्हें इस शर्त पर पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत दी कि वह राजस्थान कि सिमा में उनसे मिलेंगे, इसके बाद राहुल गांधी राजस्थान की सीमा में पीड़ित परिवारों से मिले।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर के बाद अब राजधानी से सटे होशंगाबाद और विदिशा जिले में किसानों ने फांसी लगाकर जान दे दी। होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील के ग्राम ग्राम भैरोपुर में किसान माखनलाल लौवंशी ने कर्ज और जमीन बिकने से परेशान होकर खेत में आम के पेड़ से लटककर फांसी लगा ली। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में 24 घंटे के भीतर तीन किसानों खुदकुशी कर ली।