मामले के तथ्यों के अनुसार रमेश सिंह जब देवरिया में तैनात थे, तब उन्होंने प्राइमरी स्कूलों के कुछ सहायक अध्यापकों की नियुक्तियों का अनुमोदन किया था। याचिका में उनके इस कार्य को गलत बताया गया। कहा गया कि इन नियुक्तियों के अनुमोदन का उन्हें कोई अधिकार नहीं था। याचिका में कहा गया कि उन पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का भी आरोप था। इन मुद्दों को लेकर शासन स्तर पर जांच कराई गई थी। विभागीय अधिकारियों ने जांच में रमेश सिंह को दोषी पाया था। उसके बाद शासन ने उनकी बर्खास्तगी पर संस्तुति के लिए प्रकरण लोक सेवा आयोग भेजा। उसके बाद इस मामले में कुछ नहीं किया गया। मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आयोग ने बर्खास्तगी की संस्तुति करके भेज दी है। इसपर कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में यथाशीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
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