प्रदेश के 6 किसानो की मौत पर शिवराज का स्टॉर रेटेड “उपवास”
(तारिक आज़मी) मध्य प्रदेश में किसानो की दशा और दिशा दोनों ही खराब है, पिछले दिनों मंदसौर में किसानों के आंदोलन में पुलिस की फ़ायरिंग से 6 प्रदर्शनकारी किसानो की मौत हो गई, पुलिस जिसने फायरिंग की वह मध्य प्रदेश सरकार की ही है और उसने किसानो पर फायरिंग कर किसानो को मौत के घाट उतार दिया गया। अब जब पुलिस की गोलियों से मरे किसानो का आक्रोश और बढ़ सकता था तो उन्ही किसानो के आंसू पोछने का के लिए और उनके ज़ख्मो पर मरहम लगाने के लिए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने किसानो के दुःख- दर्द को बांटने के नाम पर उपवास का ऐलान कर दिया.
सूत्रों से प्राप्त खबरों के अनुसार भोपाल के जिस स्थान पर उपवास किया गया उसे पूरी तरह V.I.P. बनाया गया, जिसकी लागत करोड़ के आंकड़ो को पार कर गई,13000/- (तेरह हज़ार) रुपया प्रति कूलर के हिसाब से कूलर लगवाये गए स्टेज और कमरों को पूरी तरह सुसज्जित किया गया, यहां तक की लैट-बाथ भी VlP बनवाए गए!
अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह कैसा ‘उपवास” है? मुख्यमंत्री जी, किसानों के दुःख में दुखी होना चाहते है तो सबसे आसन तरीका है कि एक किसान की तरह उतने दिनों का जीवन यापन कर लेते, मगरयहाँ तो उपवास को भी स्टॉर रेटेड बना कर किसानो के ज़ख्मो पर मलहम लगाने का प्रयास किया जा रहा है. इस प्रकार का जीवन किसानो ने सपने में भी नहीं देखा होगा. हो सकता है इस प्रकार के आलिशान उपवास से आपके आस पास के लोग आपकी तारीफ कर रहे हो मगर साहेब सोशल मीडिया पर आपका उपवास सिर्फ उपहास का कारक बन रहा है.
मगर इस किसानो के साथ हुवे घटनाक्रम और इस उपवास उपवास ने एक का फायदा ज़रूर पंहुचा दिया. प्रदेश में कांग्रेस जो आक्सीजन पर सांसे ले रही थी, उसको नवजीवन मिल गया और उसमे भी घोड़े की मानिंद स्फूर्ति आ गई. एक तो सिंधिया जैसा युवा तेज़ तर्रार नेता आपके सामने है, दुसरे कांग्रेस को एक संजीवनी चाहिए थी जो उसको मिल गई. आज 17 जून को निमाड़ के “खलघाट” में किसानो के जनसैलाब के साथ कांग्रेस ने हुंकार भर दी है. आज कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव अपने मरहूम पिता स्वर्गीय सुभाष यादव के पद चिन्हों पर चल कर कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की कोशिश ही नही अपितु 2018 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनाव जीत कर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बिठाने और पार्टी हाईकमान की गुडविल फेहरिस्त में आने में कोई कसर छोड़ते नज़र नहीं आ रहे है.
शिवराज सरकार किसानो के मुद्दे पर असफल होते दिखाई दे रही है वही कांग्रेस प्रदेश में अपनी मजबूत भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रही है. वैसे कहना होगा कि काश शिवराज का किसानो के प्रति यह स्टॉर रेटेड वाला उपवास न होता और किसानों के दुःख दर्द को बटोरने के लिए रोड़ पर किसानो के कंधे से कंधा मिला दिया होता तो आज शायद किसानों के आक्रोश को कुछ हद तक कम किया जा सकता था, और कांग्रेस को ऐसी अभूतपूर्व तवज्जो नही मिल पाती. मगर लीड तो अब कांग्रेस ले चुकी है. कांग्रेस ने पार्टी के अन्दर अगर एकता और अखंडता को संभाल लिया तो शायद शिवराज का सफ़र रुकता दिखाई देगा.