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तारिक आज़मी के कलम से – जी हां उसका नाम सलीम था जिसने 53 शिवभक्तो की जान अपनी जान पर खेल कर बचाया

तारिक आज़मी के कलम से 

कल जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की बस पर हुए हमले में 7 यात्रियों की मौत हो गई है और 19 से ज्यादा घायल हुए हैं। पुरे देश में इस केस की भर्तसना किया गया, कोई सत्तारूढ़ दल पर हमला कर रहा है तो कोई विपक्ष पर हमलावर है, इस सबके बीच एक खबर शायद वक्त के तेज़ रफ़्तार में दब कर रह गई है. यह खबर समाज को बाटने वालो के मुह पर एक ज़ोरदार तमाचा है. भारत गंगा जमुनी तहजीब का मुल्क है जो इससे इनकार करता है वह इस खबर को ज़रूर पढ़े और समझे की भारत की एकता और अखंडता को कोई पाक के नापाक इरादे नहीं तोड़ सकते. इस गंगा जमुनी तहजीब को अपने मकसद से भटके कथित जिहादी तोड़ दे ऐसी उनकी औकात नहीं है. किसी माँ ने ऐसा लाल नहीं आज तक धरती पर जना है जो इस गंगा जमुनी तहजीब को तोड़ कर भारत के टुकड़े कर सके. जो खुद को कथित जेहादी कहते है ज़रा अपनी गिरेबान में झाँक कर देख ले कि तू किस तरह का जेहाद कर रहा है. देख आँखे खोल कर तू कहता है खुदा तेरे साथ है, नहीं नासमझ तेरे साथ खुदा नहीं बल्कि शैतान है. खुदा तो उस सलीम के साथ है जो सलीम अल्लाह का नाम लेकर बस को तुझ जैसे कातिलो से बचा कर निकाल ले गया. देख ले आँख उठा कर अल्लाह सलीम का साथ देता है तुझ जैसे कातिलो का नहीं.

कश्मीर में हुई इस घटना का मंजर और ज्यादा भयावह होता अगर बस का ड्राईवर सलीम हिम्मत नहीं दिखाता। हमले के बाद बस में सवार यात्रियों के बयान के अनुसार उनकी बस अनंतनाग से 2 किमी दूर पंचर हो गई थी जिसे बनाने में देर हो गई। जैसे ही बस निकली आतंकियों ने हमला कर दिया। बस के एक यात्री ने बताया कि आतंकी 5-6 की संख्या में थे और ताबड़ तोड़ गोलियां बरसा रहे थे। हमने ड्राईवर से कहा कि वह बस भगाता रहे। वहीं एक अन्य यात्री योगेश के अनुसार बस निकलते ही अचानक गोलियां बरसनी शुरू हो गई और हमारे ड्राईवर सलीम ने हिम्मत दिखाते हुए बस नहीं रोकी। आतंकी मिलिट्री कैंप तक बस पर गोलियां दागते रहे। यह चमत्कार ही है कि इतने लोगों में से 7 लोगों की मौत हुई और बाकि बच गए।
क्या कहा सलीम ने
सलीम ने मंगलवार सुबह मीडिया के सामने हमले के उन खौफनाक लम्हों को याद किया। उन्होंने कहा, ‘आठ बजे के आसपास बस पर सामने से फायरिंग हुई। फायरिंग हद से ज्यादा हो रही थी। मैं गाड़ी चलाता रहा। तभी मैं झुका और एक गोली बगल में बैठे मेरे साथी को लगी।’ उन्होंने कहा,’लगातार फायरिंग हुई। मैं इसलिए रुका नहीं और बस को चलाता रहा।’ सलीम ने कहा कि उस वक्त खुदा ने मुझे आगे बढ़ते रहने की हिम्मत दी और मैं रुका नहीं।
नियम विरुद्ध हाईवे पर गई बस :
पुलिस के अनुसार बस नियम विरुद्ध सात बजे के बाद हाईवे पर गई। सात बजे बाद हाईवे पर यात्रा की अनुमति नहीं है। जानकारी के अनुसार यह बस रजिस्टर्ड नहीं थी। रोड ओपनिंग पार्टी, जिसके जरिये लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती थी वो 7:30 बजे वापस आ गई थी। बस पर हमला 8.20 बजे बैटनगो में हुआ जब वो तीर्थ यात्रियों को दर्शन करा कर बालटाल से मीर बाजार लौट रही थी।
गुजरात के वलसाड की थी बस :
हमले की शिकार बस 2 जुलाई को वलसाड से निकली थी। बस में यात्रियों के साथ इसके मालिक हर्ष भी शामिल थे। बस में सभी श्रद्धालु गुजरात के हिम्मतनगर के बताए गए हैं। मृतकों में पांच महिलाएं और दो पुरुष श्रद्धालु शामिल हैं।
सलीम को हुई वीरता पुरूस्कार देने की मांग
वही बस में मौजूद और सुरक्षित तथा घायल बचे तीर्थयात्रियों ने ड्राईवर सलीम के बहादुरी की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुवे उनको वीरता पुरुस्कार देने की मांग किया. यात्रियों का कहना था कि अगर सलीम ने बहादुरी न दिखाई होती और बस को अपनी जान पर खेल कर भगाया नहीं होता तो शायद हम में से कोई ज़िन्दा नहीं बचता और हम सब मारे जाते, मगर सलीम अपनी जान पर खेल कर बस को लगातार भगाता रहा और बस को मिलेट्री कैम्प तक पंहुचा कर हम सबकी जान बचाई. ऐसे वीर युवक को वीरता का पुरुस्कार सरकार द्वारा दिया जाना चाहिये.
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