10 साल के नाबालिग से लेकर 50साल के पौढ़ तक लेरहे खतरनाक ड्रगस
नेपाल के अधिकारीयो के लिये चुनौती बना है डग्स के कारोबार|
भारत नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में पैर पसारते ड्रग कारोबार की हकीकत सामने आई है जिसे देख व सुन कर किसी का भी दिमाग सन्न रह जाएगा| सोनौली, भैरहवा, बुटवल और बार्डर के गाव के सैकड़ों युवा, युवतिया, नशे की चपेट में हैं और इनमें 16 से 30 साल युवा बिद्ययार्थी व कारोबारी मजदूर ही नही वल्की 11 साल के नाबालिग व स्कूली बच्चे तक शामिल हैं| भारत नेपाल क्षेत्रो मे जब हमारी टीम की जांच पड़ताल में पता चला है कि ड्रग बेचने वाले बड़े स्तर पर अपने शिकार ढूंढ रहे हैं और स्कूली युवा व बच्चे इन नशे के माफियाओ के लिए आसान टारगेट बने हुए हैं|
नेपाल के पुलिस और प्रशासन इस मामले में अभी तक आंखें मूंदकर बैठे थे पर धीरे धीरे अपने पाव पसारने ये नशे के दानव दोनो मित्र देशो के लिए चुनौती बनते जा रहे है| दूसरी तरफ प्रशासन की कड़ाई देखते हुए ड्रग कारोबारी भी इस मामले में बेहद सावधानी बरत रहे हैं| ये लोग ड्रग खरीदने वाले की उम्र देखकर व पूछकर ही एक दिन में दूसरी पुड़िया देते हैं क्योंकि कम उम्र वालो के लिए एक दिन मे एक ही डोज काफी होती है और दुबारा ड्रग का सेवन उनके लिए जानलेवा हो सकता है| दूसरी पुड़िया या इंजेक्शन के लिए उन्हें अपने साथ किसी बड़े को लाने के लिए कहा जाता हैं क्योंकि उन्हें उन्हें डर की हेरोइन की दूसरी डोज एडिक्ट हो चुके युवा की जान ले लेगी और ए कारोबार व कारोबारी ‘बेकार की टेंशन’ नहीं चाहते’ कि वो सिस्टम की नजर मे आए|
गली-नुक्कड़ पर मिल रहे ड्रग्स
नशे का भयानक सच हमारे सामने आया तो पता चला कि युवाओ को चॉकलेट की तरह हेरोइन स्मैक गली-नुक्कड़ पर मिल रही है| युवा नेपाली इतने लती हो चुके हैं कि उन्हें स्कूल से निकाला जा रहा है. स्कूल का कहना है कि वो दूसरे बच्चों को उनसे बचाना चाहते हैं. बच्चे ड्रग खरीदने के लिए भयानक अपराध तक कर रहे हैं.
पुलिस कहां है?
हमारी टीम के जांच पड़ताल का यह आॅपरेशन एक महीने तक चला जिसमें सामने आया कि जैसे नशे की लत हर जगह अपने पैर जमा रही है इसका बड़ा कारण यह है कि जो रईसजादे एडिक्ट है वो इन कारोबारीयो के लिए एजेंट का काम कर रहे है और अपनी जरूरतों के लिए ना सिर्फ नवयुवक नवयुवतीयो को इस दलदल मे खीच रहे है बल्कि धर परिवार की औरते तक इस जहर को चोरी छुपे मुहल्लो मे बेचने का काम कर रही है| सबसे खतरनाक तो ये कि युवा व 11साल के बच्चे तक नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं. वो स्कूल नहीं जाते और स्मैक, चरस, गांजा आदि खरीदने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. गुणवत्ता और मात्रा के हिसाब से ड्रग्स की कीमत 150 से 450 रू0 प्रति पुडिया तक है.
इस सबके बीच पुलिस कहां है? पह सवाल जब युवा ,युवतियो के माता-पिता से पूछा गया तो लोगो ने बताया कि छोटे प्यादा तो चिट फुट पकड़े जाते है पर असली माफिया पकड मे नही आ पारहे हैं या प्रशासन उन सफेद कालर वालो पर हाथ नही डालना चाह रही है। हमारी टीम ने खुद सैकड़ो से अधिक एसे युवा और युवतियो को चिन्हित किया जो सोनौली बार्डर आकर नशे का डोज लेकर वापस लौट जाते है । ऐसा भी नही है की पुलिस डग्स के खिलाफ कुछ नही कर रही धडपकड और बरामदगी भी हो रही है। बडी खेप भी पकड़ी गयी पर भी दिनो दिन नशों का यह व्यापार युवायो की नशो मे बढता जा रहा है और पुलिस इस कारोबार के जड़ रूपी माफिया तक नही पहोच पारही जो इस व्यवसाय को पोषित कर रहा है|