लगभग दो सौ वर्ष पूरानी खंण्हर इमारत में बैठने को मजबूर अधिबक्ता,कचेहरी परिसर में अधिबक्ताओं के बैठने नही है कोई व्वस्था
शाहजहाँपुर:-स्थानीय एंव पालिका प्रशासन की अनदेखी के चलते लगभग दो सौ वर्ष पुरानी इमारत के खंण्हर मे अधिबक्ता बैठने को मजबूर हैं! देश की आजादी के वाद विभिन्न तहसील मुख्यालय एंव न्यायालयो का जीर्णद्धार हो चुका है लेकिन जनपद की सबसे बड़ी तहसील तिलहर का मुख्यालय आज तक किला इमारत के खंण्हर में ही स्थापित हो कर रह गया!
तिलहर कचेहरी के लगभग तीन सौ अधिबक्ता आज भी किला इमारत के खंण्हर के नीचे अपने टिन शेट बना कर बैठे हैं! जर्रजर किला इमारत के खंण्हर की मोटी और बजनी दिबारे कब और किस वर्ष वारिश का शिकार हो कर अधिबक्ताओं के लिए जानलेवा साबित हो कुछ अन्दाज़ा नही जबकि अधिबक्ताओ ने इस बाबत शासन प्रशासन को विभिन्न स्तर से विभिन्न मौको पर अवगत कराया परन्तु नतीजा जीरो रहा!
कचेहरी परिसर में मौजूद लगभग तीन सौ अधिबक्ताओं के लिए मात्र एक नई चेम्बर इमारत का वर्षो पूर्व निर्माण करा कर प्रशासन ने अहसान सा कर दिया लगता है! एक छोटी सी लायब्रेरी तथा तहसील सभागार आदि को यदि छोड़ दे तो वारिश के समय में परिसर स्थित मन्दिर के आसरे के अलाबा लेखपालो के लिए जहाँ कोई और ठिकाना नही तो वहीं अधिबक्ता खुद को भीगने से बचाने के लिए एक दूसरे के टिन शेट के सहारे स्थानीय एंव जिला प्रशासन पर नज़रे टिकाए बैठे रह कर काम करते नज़र आते हैं!
गौरतलब हो कि समस्त कचेहरी परिसर लगभग दो सौ वर्ष पुराने किला की जर्रजर इमारत में स्थापित है जिसका काफी हिस्सा कई दशको की वारिश का शिकार हो कर ढ़ेर होता गया! खंण्हर में तब्दील हुई किला इमारत हालाकि अधिबक्ताओं के लिए जीवन से खिलबाड़ का स्थान है परन्तु तहसील मुख्यालय एंव न्यायालय होने के कारण अधिबक्ता अपना जीवन दाव पर लगाने को मजबूर हैं!
सूत्रो के अनुसार किला स्थित कचेहरी आज भी पालिका मेंनटेन में है जिसका किराया पालिका प्रशासन को लगातार जमा किया जाता है परन्तु कचेहरी स्थित पालिका प्रशासन द्वारा जहाँ अधिबक्ताओं एंव लेखपालो के बैठने का आज तक कोई बन्दोबस्त नही करा सका तो वहीं रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था न होने से समस्सत परिसर अन्धकार मेॉ डूबा रहता है!