सुरेश कुमार दिवाकर
रामपुर. प्रशासन द्वारा रामपुर के लालपुर पुल के तोड़े जाने से आस पास के गाँव के लोग अपनी जान हथेली पर रख कर तेज़ बहाव में उफनाती कोसी नदी को नाव और अन्य साधनों से पार करने को आज मजबूर हो गए है. लकड़ी का बना पुल लालपुर को नदी के दुसरे छोर पर बसे आस पास के कई गाँवों को जोड़ने में मुख्य भूमिका निभाता था, पुल की जर्जर स्थिति को देखते हुवे और उफनाती कोसी को देखते हुवे प्रशासन ने जान माल की चिंता करते हुवे उक्त पुल को तुडवा दिया था. अब उस पुल के टूट जाने के पश्चात ग्रामीणों का जहा कारोबार ख़राब हुआ है वही ग्रामीण अपनी रोज़ मर्रा की ज़रुरत को पूरा करने के लिए इस तेज़ बहाव वाली कोसी को नावो के माध्यम से पार कर रहे है.
लगातार हो रही बारिश से नदी में पानी का बहाव बढ़ता जा रहा है कुछ दिन पहले जहा एक लकड़ी का पुल था जिससे लोग इस पार आ जा सकते थे उसको प्रशासन ने तुड़वा दिया. प्रशासन की सोच इसके पीछे थी कि जर्जर हो चुके इस पुल से जान का खतरा हो सकता है. मगर देखा जाय तो खतरा अब और बढ़ गया है क्योंकि जो आने जाने का एकमात्र सहारा लकड़ी का पुल था उसके नहीं रहने पर ग्रामीण अब जान को खतरे में डाल कर नाव से पार करने को मजबूर है. पानी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है लेकिन प्रशासन को फिक्र नहीं है ना ही प्रशासन की तरफ से कोई अन्य वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. यही नहीं यहाँ सुरक्षा के इंतजाम भी नग्न है, ऐसे में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.
माना कि उस लकड़ी का पुल सुरक्षा कारणों से मानक अनुरूप नहीं बचा था, मगर उसको तुडवाने के पहले प्रशासन को किसी वैकल्पिक व्यवस्था देखना चाहिये था. आस पास के ग्रामीणों से बात करने पर ज्ञात हुआ कि ग्रामीणों द्वारा प्रशासन को लिख कर भी दिया है लेकिन उसके बावजूद किसी भी तरह की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है और वर्तमान में जिस प्रकार से नौका का उपयोग ग्रामीण कर रहे है वह किसी भी दिन कोई भी बड़ी घटना घटित कर सकती है. शायद रामपुर प्रशासन को किसी बड़ी घटना घटने का इंतजार है