मो आफताब फ़ारूक़ी
इलाहाबाद। मुख्यमंत्री के अपने शहर गोरखपुर में बूचड़खाना न होने पर नाराजगी प्रकट की है और कहा कि हम कानून के शासन में हैं ऐसे में कोर्ट अपनी आंख बंद नहीं कर सकती है। महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह की इस दलील से संतुष्ट न होते हुए कोर्ट ने कहा कि जमीन की उपलब्धता के आधार पर स्लाटर हाउस बनाने से बचा नहीं जा सकता।
महाधिवक्ता श्री सिंह का कहना था कि पशु वधशाला के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है। जमीन मिलते ही निर्माण किया जायेगा। जबकि याचिका कर्ता का कहना था कि वह जमीन देने को तैयार है फिर भी वहां स्लाटर हाउस नहीं बनाया जा रहा है। मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस डी बी भोसले एवं न्यायमूर्ति एम के गुप्ता की पीठ ने महाधिवक्ता को एक दिन का समय अपना मत स्पष्ट करने के लिए दिया है तथा कहा है कि वह इस मामले को और अधिक टालने के मूड में नहीं है। 13 जुलाई को सुबह कोर्ट फिर इस मामले की सुनवाई करेगी। गोरखपुर के दिलशाद अहमद एवं अन्य की याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रही है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री के अपने ही शहर में स्लाटर हाउस न होने पर कोर्ट ने गंभीरता से लिया है और कहा है कि स्लाटर हाउस बनाना राज्य सरकार की वैधानिक जिम्मेदारी है, इससे सरकार मुकर नहीं सकती। महाधिवक्ता द्वारा स्लाटर हाउस बनने में देरी के कारणों को मानने से हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया। इस मामले को लेकर आज कोर्ट में गोरखपुर के डीएम, एसएसपी, नगर आयुक्त समेत कई अन्य बड़े अधिकारी कोर्ट में मौजूद रहे।