(जावेद अंसारी)
वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे सूबे के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की अंतत: जीत हुई और गाजीपुर के डीएम संजय खत्री का तबादला कर दिया गया। मंत्री पिछले दो माह से डीएम पर नाराज चल रहे थे।डीएम के तबादले को लेकर वह अपनी पूरी ताकत तक लगा चुके थे। लेकिन उनकी सिफारिश बेअसर साबित हो रही थी। इसकी वजह भाजपा के एक कद्दावर नेता को मना जा रहा है। ऐसे में डीएम का स्थानांतरण मंत्री के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनता जा रहा था।
जिस कारण मंत्री ने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठने तथा अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय ले लिया। इसके बाद सियासी हलके में खलबली मच गई। लेकिन सोमवार को सीएम योगी ने ओमप्रकाश राजभर से बातचीत कर सरकार की किरकिरी होने से बचा लिया और चार जुलाई को जिले में होने वाले धरने को भी रद्द करा दिया।
सुबे के कैबिनेट मंत्रीओम प्रकाश राजभर आखिर डीएम से ऐसा क्या दुराव हो गया कि कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर को उन्हें हटाने के लिए धरना-प्रदर्शन और घेराव का निर्णय लेना पड़ा। चर्चा है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि डीएम का तबादला कराकर कैबिनेट मंत्री जिले में दबदबा कायम करना चाहते हैं। उनके निशाने पर दो एसडीएम, एक बीडीओ और कुछ एसओ भी हैं।
प्रदेश में भाजपा-भासपा गठबंधन की सरकार है।ऐसा कम ही होता है कि किसी मंत्री को जिलाधिकारी को हटाने के लिए धरना-प्रदर्शन करने की नौबत आई हो। जिस तरह से योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने गाजीपुर डीएम के खिलाफ मोर्चा खोला है उस पर अब सवाल उठने लगे हैं। यह विवाद अब सीएम योगी तक पहुंच चुका है। एक समाचार पत्र में जिलाधिकारी को लेकर कैबिनेट मंत्री का बयान आने के बाद मंत्री और डीएम की लड़ाई रोचक हो गई है। लोगों में चर्चा है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि डीएम का तबादला कराकर कैबिनेट मंत्री जिले में दबदबा कायम करना चाहते हैं।
कैबिनेट मंत्री राजभर ने कहा कि डीएम से 17 उचित काम करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन उनमें से एक भी काम नहीं किए गए। ऐसे में उनकी लड़ाई अपनी सरकार के लिए नहीं, बल्कि डीएम के खिलाफ है। ऐसे जिलाधिकारी को जनपद में रहने का अधिकार नहीं है।कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि सोमवार की दोपहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हुई। मैंने सारे मामलों को एक-एक कर बताया। सीएम ने इसे गंभीरता को लेते हुए 19 में से 17 मांगों को तत्काल मान लिया। जबकि दो मांगों पर विचार चल रहा है।