बलिया। गंगा की हिचकोले मारती लहरें… उसके आंचल में छप-छपकर समाती उपजाऊ धरा… बाढ़ की भयावहता से सहमे लोग…। यह तस्वीर है चौबेछपरा से दूबेछपरा तक की। आंख तरेरती गंगा की लहरों ने आंचल फैलाना शुरू कर दिया है। सैकड़ों एकड़ परवल की फसल जलमग्न हो गयी है। 04 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहे गंगा का जलस्तर कब क्या गुल खिला देगा, इसको लेकर लोग सहमे हुए है। बावजूद इसके लापरवाही व उदासीनता का इंजेक्शन लगाकर शासन का नुमाइंदा प्रशासन सो रहा है। फ्लड एरिया के लोग बेवस है, लेकिन करें क्या? उनकी पीड़ा सुनने वाला कोई है ही नहीं।
कहने के लिए कटानरोधी कार्य तो दशकों से चल रहा है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए न तो प्रशासन ने प्रयास किया ना ही सफेदपोशों ने। हां, इतना जरूर है कि बाढ़ आने से पहले प्रशासन कागजी कदमताल के तहत डेंजर प्वांइटों का अवलोकन करता है। डीएम, बाढ़ विभाग के अधिकारियों को कटानरोधी कार्य में तेजी लाने का निर्देश देते है। बाढ़ विभाग के अधिकारी प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजने के बाद भी धन न आने का रोना रोते है। धन आते-आते, फ्लड फाइटिंग की नौबत आ जाती है और शुरू हो जाता है गांवों पर कहर। फिर ‘कोई मरता है तो मरने दे, हम अपना तराना क्यों छोड़े’ की तर्ज पर प्रशासन गांव और ग्रामीणों की सुरक्षा करने की बजाय, सड़क को बचाने की युगत में सरकारी धन खपाने में लग जाता है। यदि ऐसा नहीं होता तो अब तक भरौली से माझी तक पक्का घाट बन गया होता। आंचल में समेटने वाली गंगा की कैंची फिलहाल नौरंगा ग्राम पंचायत के सामने चल रही है। अरारों को काटते-छपटते लहरों का रूप देख लोग चिंतित है। इस बीच, दूबेछपरा में 21 करोड़ का प्रोजेक्ट ठप हो गया है, जबकि 08 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम की खानापूर्ति हो रही है। इससे गोपालपुर ग्राम पंचायत के लोग परेशान है। गुरुवार को बाढ़ नियंत्रण केन्द्र गायघाट पर नदी का जलस्तर शाम 07 बजे 53.220 मीटर रिकार्ड किया गया, जबकि बढ़ोत्तरी की गति प्रति घंटे 04 सेमी जारी रही।