सी पी सिंह विसेन
नोट बंदी के बाद से ही दस के सिक्कों को असली नकली के दायरे में बांटकर अफवाह फैला दिया गया, जिसका असर आज भी ग्राहकों को उस समय भोगना पड़ रहा है जब दुकानदार उनकी खरीददारी के बदले दस के सिक्कों को लेने से इंकार कर देते है। कुछ दुकानदारों का कहना है कि जहां से वे थोक में माल लाते है या बैंकों में पैसा जमा करने जाते है तो वहां भी सिक्के नहीं लिये जा रहे है। बिडंबना इस बात की है कि नोटबंदी के दिनों में बैंकों द्वारा करेंसी का अभाव दिखाकर भारी मात्रा में सिक्कों का भुगतान ग्राहकों को किया गया जो बाजार में अधिकाधिक मात्रा में चलन में हो गया। अब अचानक बैंक या कुछ दुकानदारों द्वारा सिक्कों को लेने से इंकार कर देने से लोगों की परेशानी बढ़ना स्वावभाविक हो गया है। इस दिशा में शासन प्रशासन से कठोर कदम उठाये जाने व बैंकों को सिक्कों को लेने के सम्बंध में तत्काल निर्देश जारी करने की मांग लोगों ने की है।
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