समीर मिश्रा.
यूपी और एनसीआर में वर्तमान समय में रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) और बेईमान बिल्डरों से जनता काफी परेशान है। रेरा की वेबसाइट पर 24 घंटे के भीतर 20 हजार शिकायतें दर्ज हुई हैं। प्रत्येक शिकायत पर एक हजार रुपये रेरा फीस लेता है। लोगों का कहना है कि पहले बिल्डर ने लूटा अब शिकायत के नाम पर रेरा पैसे ऐंठ रहा है।
लोगों के जेहन में एक सवाल है कि रेरा पर शिकायत दर्ज करने के लिए भारी फीस क्यों है? आरोप है कि इतनी फीस से छोटे निवेशक शिकायत भी नहीं कर सकते। अफसरों की साजिश से ये शिकायत फीस महंगी हुई है। सवाल यह भी है कि गरीब निवेशकों के साथ ये कैसा न्याय है? परेशान लोग पैसा जुटाकर शिकायत दर्ज करा रहे हैं। फिलहाल रेरा की वेबसाइट में बिल्डरों की लूट की बाढ़ आ गई है। इस पर लगाम कैसे लगेगी ये आने वाला वक्त ही बतायेगा।
वर्तमान में ग्रेटर नोएडा में चल रही 82 परियोजनाएं :
हरियाणा और उत्तर प्रदेश के रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) नियमों ने रियल स्टेट कानून के दायरे से बाहर एनसीआर में चल रहे बहुसंख्यक रियल स्टेट परियोजनाओं को दायरे से बाहर कर दिया है।सरकार और उद्योग के अधिकारियों के अनुसार इनकी संख्या गुड़गांव में 90% है।
फ्लैटों के वितरण में तत्काल उपलब्ध नहीं कराने की दृष्टि से नोएडा सबसे पीछे है। लेकिन उद्योग निरीक्षकों को नोएडा की तुलना में गुड़गांव से ज्यादा उम्मीद है।क्योंकि उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने अपने रियल स्टेट (विनियमन) में शामिल होने वाली चालू परियोजनाओं के लिए इसी मापदंड का इस्तेमाल किया है। नियमन और विकास अधिनियम नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वर्तमान में 82 बिल्डर परियोजनाएं चल रहे हैं।