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“मोको भाये कृष्ण गोपाला, कृष्णा को भाये का, मन में नित है यही सवाला….” जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

शिखा की कलम से………
शायद ही संसार में कोई ऐसा जीव हो जिसे कृष्णा की छवि न भाती हो। सांवले मुखमंडल वाला,बांसुरी और मोरपंख धारण किये यह कृष्णा सबको लुभाता है। इस वर्ष जन्‍माष्‍टमी का पर्व, 14 अगस्‍त 2017 को मनाया जाएगा। वहीं गृहस्‍थ आश्रम के लोग इस पर्व को एक दिन बाद 15 अगस्‍त को मनाएंगे। इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है और दही हांडी का खेल भी खेला जाता है। ऐसा मानते हैं कि भगवान कृष्‍ण को दही बहुत प्रिय था और वो इसे चुराकर खाते थे जिसके लिए कई बार वो हांडी भी फोड़ते थे।

इस पर्व को मनाने के लिए कई परिवार दिन भर उपवास करते हैं और रात्रि को उनका जन्‍म करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दौरान, घर के बच्‍चे झांकी सजाते हैं और कई तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्‍सा लेते हैं। जो कृष्णा सबको भाता है ,क्‍या आपको यह ज्ञात है कि भगवान  उस कृष्‍ण को क्‍या-क्‍या प्रिय है। अगर नहीं तो इस लेख को पढें और जानें कि भगवान कृष्‍ण की प्रिय वस्‍तुओं में से क्‍या-क्‍या था।
मोरपंख
मोरपंख को देखते ही आपको भगवान कृष्‍ण की याद आ जाएगी। ये उनके लिए एक प्रतीक समान है। अगर आप घर पर भगवान कृष्‍ण से जुड़ी कोई तैयारी करती हैं तो मोरपंख से डेकोरेशन कर सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्‍ण के धर्मपिता ने उन्‍हें भेंट के रूप में दिया था। जिसे वो सदैव अपनी बांसुरी पर सजाकर रखते थे। जो भी हो लेकिन मोरपंख को हमेशा भगवान कृष्‍ण से जोड़कर ही देखा जाता है।
मक्खन
भगवान कृष्‍ण को माखनचोर के नाम से भी जाना जाता था क्‍योंकि उन्‍हें मक्‍खन इतना प्रिय था कि वो उसे खाने के लिए चोरी किया करते थे। इसीलिए जब भी उनके लिए पूजा की जाती है तो मक्खन का भोग लगाया जाता है।
कपड़े
भगवान कृष्‍ण को पीले वस्‍त्र ही धारण करवाये जाते हैं। अगर आप उनकी कोई भी तस्‍वीर देखें तो उसमें भी उनके तन पर पीले वस्‍त्र होंगे। मानते हैं कि भगवान कृष्‍ण को पीला रंग ही बहुत प्रिय था। इसीलिए जन्‍माष्‍टमी के अवसर पर उन्‍हें पीले रंग के फल व अन्‍य सामग्रियां चढ़ाई जाती हैं।
बांसुरी
भगवान कृष्‍ण बांसुरी के बिना अधूरे हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्‍ण बांसुरी बजाना शुरू करते थे तो सभी जीव जन्‍तु नाचने लगते थे। इस बारे में किंवदंती में कहा गया है कि उन्‍हें यह बांसुरी एक बेचने वाले से मिली, जो इसे बेचा करता था। इसी व्‍यक्ति ने उन्‍हें बांसुरी बजाना सिखाया। बांसुरी को पवित्र माना जाता है और इस संदर्भ में कई कविताएं और गीत लिखे गए हैं। बांसुरी को भाग्‍यशाली माना जाता है क्‍योंकि उसने भगवान कृष्‍ण के होंठो को छुआ है।
गाय
भगवान कृष्‍ण को गायें बहुत प्रिय थी। वो सदैव गायों को अपना प्रेम देते हैं, उन्‍हें चराने ले जाते थे और उनकी सेवा करते थे। जब वो किशोर थे तो ज्‍यादातर समय अपने चरवाहे दोस्‍तों के साथ ही गाय को चराने में बिताते थे। भगवान कृष्‍ण के बारे में कई कहानियां गायों से जुड़ी हुई हैं|
तो ऐसे हैं हमारे कृष्णा कन्हैया।                    
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