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चले गये अंग्रेज़ और राजा महाराजा, मगर कानपुर में आज भी है साहूकारी

मुहम्मद रियाज़ रज़वी

कानपुर. क्या आपको पता है की सदियों पुरानी साहूकारी प्रथा आज भी जिन्दा है लेकिन नए कैलिबर में. कानपुर में तकरीबन 200 साहूकार मौजूद है जिनको प्रशासन बाकायदा लाइसेंस देता है. राजा महाराजा के समय से साहूकारी प्रथा चलती आ रही है. उस जमाने में अमीर व्यक्ति जरुरतमंदो को पैसे उधार देता था और बयाज सहित पैसे वापस लेता था.

समय के साथ बदलाव आया और साहुकारी का स्थान बैंक ने ले लिया. समय भले बदल गया लेकिन साहूकारी आज भी चल रही है और वह भी कानूनी रूप से. उत्तर प्रदेश रेगुलेशन ऑफ़ मनी लैंडिंग एक्ट 1976 के अनुसार कोई भी व्यक्ति प्रशासन के पास अर्ज़ी देकर साहूकारी का लाइसेंस ले सकता है. इस एक्ट में कई प्रावधान है जिसके अनुसार लाइसेंस लेने वाला पैसे वापस लेने के लिए बाहुबल का प्रयोग नहीं कर सकता. शिकायत मिलने पर लाइसेंस निरस्त हो सकता है. साहूकार आरबीआई की गाइडलाइन्स से ज्यादा बयाज नहीं ले सकता. प्रशासन  के अनुसार यह व्यवस्था उन इलाकों में ज्यादा प्रभावी है जहाँ बैंक अभी तक नहीं पहुँच पाए है.
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