प्रमोद दुबे.
कादीपुर (सुलतानपुर)। ‘ग्रहण और भद्रा के नाम पर कुछ नासमझ लोग रक्षाबंधन को कम समय में मनाने की सलाह दे रहे हैं । सोशल मीडिया में भी रक्षाबंधन के विशेष समय की बातें वायरल हो रही हैं । जबकि ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार ऐसा नहीं है । सात अगस्त को पूरे दिन भर रक्षासूत्र बांधा जा सकता है इस बार रक्षाबंधन मनाने में कोई बाधा नहीं है । ‘
यह बातें ज्योतिष एवं अध्यात्म के जानकार ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह ‘रवि’ ने कहीं । ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह ‘रवि’ ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि रक्षाबंधन का त्यौहार श्रवण मास की पूर्णिमा को विशेषतः भद्रा दोष रहित काल में मनाया जाता है ।इस वर्ष यह पूर्णिमा सात अगस्त दिन सोमवार को पड़ रही है ।हृषिकेश पंचांग के अनुसार इस दिन भद्रा काल दिन में दस बजकर तीस मिनट तक और चंद्र ग्रहण स्पर्श रात के दस बजकर तिरपन मिनट पर है । लेकिन भद्रा एवं ग्रहण आदि का कोई कुप्रभाव रक्षाबंधन पर्व पर नहीं पड़ेगा । क्योंकि ‘मुहूर्त चिंतामणि’ में भद्रा के विषय में उल्लेख है कि भद्रा का प्रभाव वहीं पड़ता है जहां पर उसका निवास होता है । इस पूर्णिमा को मकर राशि की भद्रा है जिसका निवास पाताल लोक में है । अतः इस रक्षाबंधन में भद्रा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है ।’ धर्मसिंधु’ में कहा गया है ‘इदं ग्रहणसंक्रांति दिनेपि कर्तव्यं’ अर्थात रक्षाबंधन जैसे नियत समय पर पड़ने वाले पर्वों पर ग्रहण संक्रांति दोषों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता । ‘निर्णय सिंधु’ में भी वर्णन है कि ‘इदं रक्षाबंधनं नियतकालत्वात् भद्रावज्रयग्रहणदिनेपिकार्य होलिकावत ।ग्रहणसंक्रांत।ग्रहणसंक्रांत्यादौ रक्षानिषेधाभावात ।’ अर्थात रक्षाबंधन पर्व एक सुनिश्चित एवं नियत काल में मनाने की शास्त्राज्ञा है इस दिन ग्रहण , संक्रांति आदि का परिहार है ।
अतः आप सब रक्षा बंधन का पर्व सोमवार के पवित्र दिन सुबह से लेकर शाम तक बिना किसी संकोच के बेहिचक उल्लासपूर्वक मना सकते हैं ।